प्रणाम, भक्तजनों! तुलसी, जिसे हिन्दू धर्म में पवित्र और देवी स्वरूप माना जाता है, की उपासना से घर में शांति, समृद्धि, और पवित्रता की वृद्धि होती है। तुलसी चालीसा का पाठ करने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति का वास होता है।
तुलसी के पौधे की पूजा विशेष रूप से कार्तिक मास में अत्यधिक फलदायी मानी जाती है। तुलसी चालीसा का पाठ करते समय तुलसी के पौधे के सामने दीप जलाएं और मन की शुद्धता के साथ इस चालीसा का पाठ करें।
आइये, हम सभी तुलसी माँ की आराधना कर इस चालीसा का पवित्र पाठ करें और उनके आशीर्वाद से अपने घर और जीवन को पवित्र और समृद्ध बनाएं।
जय तुलसी माँ!
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॥ दोहा ॥
जय जय तुलसी भगवती सत्यवती सुखदानि ।
नमो नमो हरि प्रेयसी श्री वृन्दा गुण खानि ।।
श्री हरि शीश बिराजिनी, देहु अमर वर अम्ब |
जनहित हे वृन्दावनी अब न करहु विलम्ब।।
॥ चौपाई ॥
धन्य धन्य श्री तुलसी माता।
महिमा अगम सदा श्रुति गाता।।
हरि के प्राणहू से तुम प्यारी।
हरिहिं हेतु कीन्हों तप भारी ॥
जब प्रसन्न है दर्शन दीन्ह्यो।
तब कर जोरि विनय अस कीन्ह्यो।
हे भगवन्त कन्त मम होहू।
दीन जानि जनि छांड़हु छोहू।
सुनि लख्मी तुलसी की बानी।
दीन्हों श्राम कध पर आनी॥
अस अयोग्य वर मांगन हारी।
होहु विटप तुम जड़ तनु धारी ॥
सुनि तुलसहिं श्राप्यो तेहिं ठामा ।
करहु वास तुहुँ नीचन धामा ॥
दियो वचन हरि तब तत्काला।
सुनहु सुमुखि जनिहोहु बिहाला ।।
समय पाई व्है रों पति तोरा।
पुजिहौं आस वचन सत मोरा ।।
तब गोकुल महं गोप सुदामा।
तासु भई तुलसी तू बामा ॥
कृष्ण रास लीला के माहीं।
राधे शक्यो प्रेम लखि नाहीं॥
दियो श्राप तुलसिंह तत्काला।
नर लोकहिं तुम जन्महु बाला ।।
यो गोप वह दानव राजा।
शंख चूड़ नामक शिर ताजा॥
तुलसी भई तासु की नारी।
परम सती गुण रूप अगारी ॥
अस द्वै कल्प गीत जब गयऊ।
कल्प तृतीय जन्म तब भयऊ॥
वृन्दा नाम भयो तुलसी को।
असुर जलन्धर नाम पति को॥
करि अति द्वन्द्व अतुल बलधामा।
लीन्हा शंकर से संग्रामा ॥
जब निज सैन्य सहित शिव हारे।
मरहि न तब हर हिरहिं पुकारे॥
पतिव्रता वृन्दा थी नारी।
कोउ न सके पतिहिं संहारी॥
तब जलन्धरहि भेष बनाई।
वृन्दा ढिंग हरि पहुच्यो जाई ॥
शिव हितलहि करि कपट प्रसंगा।
कियो सतीत्व धर्म तेहि भंगा।
भयो जलन्धर कर सुनि संहारा।
उर शोक अपारा।।
तिहिं क्षण दियो कपट हरि टारी।
लखि वृन्दा दुख गिरा उचारी ॥
जलन्धरहिं जस हत्यो अभीता।
सोई रावण तस हरिही सीता।।
अस प्रस्तर सम हृदय तुम्हारा।
धर्म खण्डि मम पतिहिं संहारा॥
यहि कारण लहि श्राप हमारा।
होवे तनु पाषाण तुम्हारा।।
सुनि हरि तुरतहिं वचन उचारे।
दियो श्राप तुम बिना विचारे ।।
लख्यो न निज करतूति पती को।
छलन चह्यो जब पारवती को ॥
जड़मति तुहुँ अस हो जड़रूपा।
जगमहं तुलसी विटप अनूपा ॥
धग्व रूप हम शालिगरामा।
दी गण्डकी बीच ललामा ।।
जो तुलसीदल हमहिं चढ़ इहैं।
सब सुख भोगि परम पद पइ हैं।
बिनु तुलसी हरि जलत शरीरा।
अतिशय उठत शीश उर पीरा।
जो तुलसी दल हरि शिर धारत।
प्तो सहस्त्र घट अमृत डारत।।
तुलसी हरि मन रंजनि हारी।
रोग दोष दुख भंजनि हारी ॥
प्रेम सहित हरि भजन निरन्तर।
तुलसी राधा में नहिं अन्तर॥
व्यंजन हो छप्पनहु प्रकारा।
बिनु तुलसीदल हरिहिं प्यारा ॥
सकल तीर्थ तुलसी तरु छाहीं।
लहत मुक्ति जन संशय नांहीं।।
कवि सुन्दर इक हरि गुण गावत।
तुलसिहिं निकट सहसगुण पावत।।
बसत निकट दुर्बासा धामा।
जो प्रयास ते पूर्व ललामा ॥
पाठ करहिं जो नित नर नारी।
होहिं सखी भाषहिं त्रिपुरारी॥
।। दोहा ।।
तुलसी चालीसा पढ़हिं तुलसी तरु गृह धारि।
दीपदान करि पुत्रफल पावहि बन्ध्यहं नारि ॥
सकल दुःख दरिद्र हरि हार है परम प्रसन्न।
अतिशय धन जन लहहिं गृह बसहिं पूरणा-अत्र
लहि अभिमत फल जगत महं लहहिं पूर्ण सबकाम
जइदल अर्पहिं तुलसि तहं सहस बसहिं हरिराम
तुलसी महिमा नाम लख तुलसी सुत सुखराम।
मानस चालीसा रच्यो जग महं तुलसीदास ॥
तुलसी माता: पवित्रता और समृद्धि की देवी
तुलसी माता को हिंदू धर्म में एक पवित्र पौधे के रूप में पूजा जाता है। इसे घरों में लगाना शुभ माना जाता है। तुलसी माता को विष्णु भगवान की परम भक्त माना जाता है।
तुलसी माता का महत्व
- पवित्रता: तुलसी को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। घर में तुलसी का पौधा होने से घर में पवित्रता का वातावरण बनता है।
- समृद्धि: तुलसी माता लक्ष्मी का प्रतीक भी मानी जाती हैं। इसका पाठ करने से घर में धन और समृद्धि आती है।
- स्वास्थ्य: तुलसी के औषधीय गुण होते हैं। यह कई रोगों से बचाता है।
- नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति: यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाता है।
तुलसी माता की पूजा
तुलसी माता की पूजा प्रतिदिन की जाती है। विशेषकर सोमवार और एकादशी के दिन तुलसी माता की पूजा का विशेष महत्व होता है। तुलसी माता की पूजा करते समय उन्हें जल से स्नान कराया जाता है, दीपक जलाया जाता है और धूप-अगरबत्ती दिखाई जाती है।
तुलसी का महत्व
- आयुर्वेद: तुलसी का उपयोग आयुर्वेद में कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है।
- धार्मिक महत्व: तुलसी को हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है।
- पर्यावरण: तुलसी पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है।
तुलसी चालीसा
तुलसी चालीसा तुलसी माता की भक्ति में डूबे रहने के लिए एक अद्भुत साधन है। यह चालीसा तुलसी माता के जीवन और सिद्धियों का वर्णन करती है और उनके प्रति प्रेम और भक्ति को बढ़ावा देती है।
तुलसी चालीसा पढ़ने के लाभ
- मन की शांति: यह मन को शांत और तनावमुक्त बनाता है।
- रोग मुक्ति: कई बीमारियों से बचाता है।
- आध्यात्मिक विकास: आध्यात्मिक विकास होता है।
- सौभाग्य: सुख और समृद्धि लाता है।
तुलसी चालीसा पढ़ने की विधि
- शुद्ध मन: पाठ करते समय मन को शांत और एकाग्र रखें।
- श्रद्धा: तुलसी के पौधे के प्रति अटूट श्रद्धा रखें।
- विधि: आप बैठकर या खड़े होकर भी पाठ कर सकते हैं।
- समय: आप किसी भी शुभ समय में पाठ कर सकते हैं।
- पूजा: पाठ से पहले तुलसी के पौधे को जल से धोकर उसे दीपक जलाकर और धूप-अगरबत्ती दिखाकर पूजा करें।
निष्कर्ष:
तुलसी माता एक पवित्र देवी हैं और तुलसी का पौधा बहुत ही पवित्र माना जाता है। तुलसी चालीसा का पाठ करने से मन को शांति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।