प्रिय भक्तजन, आप सभी को हार्दिक प्रणाम और शुभकामनाएँ। इस पवित्र अवसर पर, मैं आपका स्वागत करता हूँ और आपके स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति की प्रार्थना करता हूँ।
ॐ सूर्याय नमः।
सप्ताश्वरथमारूढ़ं प्रचंडं कश्यपात्मजम्।
श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्॥
भगवान सूर्य, जो सम्पूर्ण सृष्टि के प्रकाश और ऊर्जा के स्रोत हैं, उनकी आराधना से हमें अपार शक्ति, उत्साह और जीवन में सकारात्मकता की प्राप्ति होती है। सूर्य देवता की कृपा से हमारे जीवन के सभी अंधकार दूर होते हैं और हमें आत्मिक बल और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम्।
तमोऽरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्॥
आइये, हम सब मिलकर सूर्य चालीसा का पवित्र पाठ करें और भगवान सूर्य के दिव्य आशीर्वाद से अपने जीवन को धन्य बनाएं। उनकी महिमा का गुणगान करते हुए, हम उनके आशीर्वाद से अपने जीवन में शक्ति, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति करेंगे।
ॐ सूर्याय नमः।
Surya Chalisa PDF Download करने के लिए, कृपया यहाँ जाएँ – श्री सूर्य देव चालीसा पीडीऍफ़
॥ दोहा ॥
कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अंग |
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के संग ||
॥ चौपाई ॥
जय सविता जय जयति दिवाकर,
सहस्त्रांशु सप्ताश्व तिमिरहर॥
भानु पतंग मरीची भास्कर,
सविता हंस सुनूर विभाकर॥
विवस्वान आदित्य विकर्तन,
मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥
अम्बरमणि खग रवि कहलाते,
वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥ 4
सहस्त्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि,
मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥
अरुण सदृश सारथी मनोहर,
हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥
मंडल की महिमा अति न्यारी,
तेज रूप केरी बलिहारी॥
उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते,
देखि पुरन्दर लज्जित होते॥8
मित्र मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर,
सविता सूर्य अर्क खग कलिकर॥
पूषा रवि आदित्य नाम लै,
हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥
द्वादस नाम प्रेम सों गावैं,
मस्तक बारह बार नवावैं॥
चार पदारथ जन सो पावै,
दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै॥12
नमस्कार को चमत्कार यह,
विधि हरिहर को कृपासार यह॥
सेवै भानु तुमहिं मन लाई,
अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई॥
बारह नाम उच्चारन करते,
सहस जनम के पातक टरते॥
उपाख्यान जो करते तवजन,
रिपु सों जमलहते सोतेहि छन॥16
धन सुत जुत परिवार बढ़तु है,
प्रबल मोह को फंद कटतु है॥
अर्क शीश को रक्षा करते,
रवि ललाट पर नित्य बिहरते॥
सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत,
कर्ण देस पर दिनकर छाजत॥
भानु नासिका वासकरहुनित,
भास्कर करत सदा मुखको हित॥20
ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे,
रसना बीच तीक्षण बस प्यारे॥
कंठ सुवर्ण रेत की शोभा,
तिग्म तेजसः कांधे लोभा॥
पूषां बाहू मित्र पीठहिं पर,
त्वष्टा वरुण रहत सुउष्णकर॥
युगल हाथ पर रक्षा कारन,
भानुमान उरसर्म सुउदरचन॥24
बसत नाभि आदित्य मनोहर,
कटिमंह, रहत मन मुदभर॥
जंघा गोपति सविता बासा,
गुप्त दिवाकर करत हुलासा॥
विवस्वान पद की रखवारी,
बाहर बसते नित तम हारी॥
सहस्त्रांशु सर्वांग सम्हारै,
रक्षा कवच विचित्र विचारे॥28
अस जोजन अपने मन माहीं,
भय जगबीच करहुं तेहि नाहीं ॥
दद्रु कुष्ठ तेहिं कबहु न व्यापै,
जोजन याको मन मंह जापै॥
अंधकार जग का जो हरता,
नव प्रकाश से आनन्द भरता॥
ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही,
कोटि बार मैं प्रनवौं ताही॥32
मंद सदृश सुत जग में जाके,
धर्मराज सम अद्भुत बांके॥
धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा,
किया करत सुरमुनि नर सेवा॥
भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों,
दूर हटतसो भवके भ्रम सों॥
परम धन्य सों नर तनधारी,
हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी॥36
अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन,
मधु वेदांग नाम रवि उदयन॥
भानु उदय बैसाख गिनावै,
ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै॥
यम भादों आश्विन हिमरेता,
कातिक होत दिवाकर नेता॥
अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं,
पुरुष नाम रविहैं मलमासहिं॥40
॥ दोहा ॥
भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य,
सुख सम्पत्ति लहि बिबिध, होंहिं सदा कृतकृत्य॥
श्री सूर्य देव चालीसा का परिचय
सूर्य देवता, हिंदू धर्म में प्रकाश, ऊर्जा, और जीवन के प्रतीक माने जाते हैं। वे ब्रह्मा, विष्णु, और शिव के साथ वेदों में जगत की आत्मा के रूप में प्रतिष्ठित हैं। सूर्य के बिना इस पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। वे न केवल जीवन के स्रोत हैं, बल्कि वे ज्ञान, विजय, और धर्म के भी प्रतीक हैं।
सूर्य देवता के गुण और विशेषताएँ:
- प्रकाश और ऊर्जा: सूर्य को सर्वप्रेरक और सर्वप्रकाशक माना जाता है। वे सब कुछ प्रकाशित करने और जीवन देने वाले हैं।
- स्वास्थ्य और दीर्घायु: सूर्य का पूजन करने से स्वास्थ्य में सुधार और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
- कर्म और जाप: सूर्य की आराधना से कर्मफल में सुधार होता है और जाप से मानसिक शांति मिलती है।
- साधना और यज्ञ: सूर्य को साधना और यज्ञ के माध्यम से प्रसन्न किया जाता है।
सूर्य देवता का जन्म: सूर्य देवता का जन्म देवी अदिति और प्रजापति कश्यप से हुआ था। जब दैत्यों ने देवताओं को स्वर्ग से निकाल दिया, तो अदिति ने सूर्य की तपस्या की। सूर्य ने उनके पुत्र के रूप में जन्म लिया और दैत्यों को पराजित किया।
सूर्य देवता और भगवान शिव का युद्ध: ब्रह्मवैवर्त पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, सूर्य देवता और भगवान शिव के बीच युद्ध हुआ। राक्षसों के द्वारा सूर्य पर प्रहार किया गया, जिससे उनका सिर कट गया। कश्यप प्रजापति ने भगवान शिव को श्राप दिया कि उनके पुत्र गणेश का मस्तक भी इसी प्रकार काटा जाएगा।
प्रमुख सूर्य मंदिर:
- कोणार्क सूर्य मंदिर: यह ओडिशा में स्थित 13वीं सदी का सूर्य मंदिर है, जिसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी है।
- मोढ़ेरा सूर्य मंदिर: गुजरात में स्थित यह मंदिर सोलंकी वंश के राजा भीमदेव प्रथम द्वारा बनवाया गया था।
- मार्तंड सूर्य मंदिर: जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग जिले में स्थित यह मंदिर 8वीं सदी का है।
- बेलाउर सूर्य मंदिर: बिहार के भोजपुर जिले में स्थित यह प्राचीन सूर्य मंदिर छठ महापर्व के लिए प्रसिद्ध है।
ज्योतिष में सूर्य: सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है। वे पाँचवे राशि सिंह के स्वामी हैं और पिता, लकड़ी, स्वर्ण, तांबा आदि के कारक हैं। उनका अयन 6 माह का होता है, और वे दक्षिणायन व उत्तरायण में होते हैं। सूर्य के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में स्वास्थ्य, शांति, और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
सूर्य के व्रत और पर्व:
- छठ महापर्व: सूर्य देवता की आराधना के प्रमुख अवसरों में से एक है, जिसमें सूर्य को अर्घ्य देकर आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
सूर्य देवता की पूजा और आराधना से जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति होती है, और ये हमें सिखाते हैं कि जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा का महत्व क्या होता है।
श्री सूर्य देव चालीसा पढ़ने की विधि
श्री सूर्य देव चालीसा का पाठ करने के लिए कोई विशेष विधि नहीं है। आप इसे किसी भी समय, किसी भी जगह पर पढ़ सकते हैं। हालांकि, सुबह के समय सूर्योदय के समय सूर्य देव की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर पाठ करना अधिक फलदायी माना जाता है।
- शांति और एकाग्रता: पाठ करते समय मन को शांत रखें और सूर्य देव पर ध्यान केंद्रित करें।
- शुद्ध मन: शुद्ध मन से पाठ करना चाहिए।
- विश्वास: सूर्य देव पर अटूट विश्वास रखें।
श्री सूर्य देव चालीसा का महत्त्व
श्री सूर्य देव चालीसा का पाठ करने से मन शांत होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। यह व्यक्ति को स्वास्थ्य, धन और समृद्धि प्रदान करता है। सूर्य देव चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
श्री सूर्य देव चालीसा के लाभ
- स्वास्थ्य: सूर्य देव चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है और रोगों से मुक्त रहता है।
- धन और समृद्धि: यह धन और समृद्धि लाने में भी मदद करता है।
- सफलता: सूर्य देव चालीसा व्यक्ति को जीवन में सफलता दिलाती है।
- आत्मविश्वास: यह व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ाता है।
- ऊर्जा: यह व्यक्ति को ऊर्जा प्रदान करता है।
निष्कर्ष
श्री सूर्य देव चालीसा एक अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली स्तोत्र है। इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। यदि आप अपने जीवन में स्वास्थ्य, धन और समृद्धि चाहते हैं, तो आप श्री सूर्य देव चालीसा का पाठ अवश्य करें।