प्रणाम, भक्तजनों! भगवान गणेश, जो सभी विघ्नों का नाश करने वाले और बुद्धि के देवता माने जाते हैं, की उपासना से जीवन में सफलता, समृद्धि, और सभी बाधाओं का नाश होता है। शास्त्रों में कहा गया है:
“वक्रतुंड महाकाय, सूर्यकोटि समप्रभः।
निर्विघ्नं कुरु मे देव, सर्व-कार्येषु सर्वदा॥”
गणेश चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाओं का नाश होता है और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस चालीसा का पाठ करते समय भगवान गणेश की प्रतिमा के सामने दीप जलाएं और विधिपूर्वक पाठ करें। यह विधि विशेष रूप से उन भक्तों के लिए लाभकारी है जो सफलता और समृद्धि की प्राप्ति करना चाहते हैं।
आइये, हम सभी भगवान गणेश की आराधना कर इस चालीसा का पवित्र पाठ करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को विघ्नों से मुक्त और सफल बनाएं।
ॐ गं गणपतये नमः
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॥ दोहा ॥
जय गणपति सदगुणसदन, कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय गणपति गणराजू।
मंगल भरण करण शुभ काजू॥
जय गजबदन सदन सुखदाता।
विश्व विनायक बुद्घि विधाता॥
वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन।
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥
राजत मणि मुक्तन उर माला।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं।
मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित।
चरण पादुका मुनि मन राजित॥
धनि शिवसुवन षडानन भ्राता।
गौरी ललन विश्व-विख्याता॥
ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे।
मूषक वाहन सोहत द्घारे॥
कहौ जन्म शुभ-कथा तुम्हारी।
अति शुचि पावन मंगलकारी॥
एक समय गिरिराज कुमारी।
पुत्र हेतु तप कीन्हो भारी॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा।
तब पहुंच्यो तुम धरि द्घिज रुपा॥
अतिथि जानि कै गौरि सुखारी।
बहुविधि सेवा करी तुम्हारी॥
अति प्रसन्न है तुम वर दीन्हा।
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला।
बिना गर्भ धारण, यहि काला॥
गणनायक, गुण ज्ञान निधाना।
पूजित प्रथम, रुप भगवाना॥
अस कहि अन्तर्धान रुप है।
पलना पर बालक स्वरुप है॥
बनि शिशु, रुदन जबहिं तुम ठाना।
लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना॥
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं।
नभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं॥
शम्भु, उमा, बहु दान लुटावहिं।
सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा।
देखन भी आये शनि राजा॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं।
बालक, देखन चाहत नाहीं॥
गिरिजा कछु मन भेद बढ़ायो।
उत्सव मोर, न शनि तुहि भायो॥
कहन लगे शनि, मन सकुचाई।
का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई॥
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ।
शनि सों बालक देखन कहाऊ॥
पडतहिं, शनि दृग कोण प्रकाशा।
बोलक सिर उड़ि गयो अकाशा॥
गिरिजा गिरीं विकल हुए धरणी।
सो दुख दशा गयो नहीं वरणी॥
हाहाकार मच्यो कैलाशा।
शनि कीन्हो लखि सुत को नाशा॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो।
काटि चक्र सो गज शिर लाये॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो।
प्राण, मंत्र पढ़ि शंकर डारयो॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे।
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वन दीन्हे॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा।
पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा॥
चले षडानन, भरमि भुलाई।
रचे बैठ तुम बुद्घि उपाई॥
धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे।
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें।
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई।
शेष सहसमुख सके न गाई॥
मैं मतिहीन मलीन दुखारी।
करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा।
जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा॥
अब प्रभु दया दीन पर कीजै।
अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै॥
॥ दोहा ॥
श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान|
नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान ॥
सम्वत अपन सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ति गणेश॥
गणेश जी के बारे में
गणेश जी हिंदू धर्म में सर्वाधिक पूजित देवताओं में से एक हैं। उन्हें विघ्नहर्ता के रूप में जाना जाता है, अर्थात वे सभी प्रकार के विघ्नों को दूर करते हैं। गणेश जी को बुद्धि, विवेक और समृद्धि का देवता भी माना जाता है। इनकी सवारी चूहा है और ये मोदक बहुत पसंद करते हैं।
गणेश चालीसा पढ़ने की विधि
गणेश चालीसा का पाठ करने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- शुद्धता: पाठ करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- स्थान: एक शांत और साफ जगह पर बैठें।
- मूर्ति: गणेश जी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
- ध्यान: गणेश जी का ध्यान करते हुए पाठ शुरू करें।
- भाव: भावपूर्ण तरीके से चालीसा का पाठ करें।
- संख्या: चालीसा को एक बार या कई बार पढ़ सकते हैं।
गणेश चालीसा का महत्व
गणेश चालीसा का पाठ करने का बहुत महत्व है। यह भक्तों को मानसिक शांति प्रदान करता है और उनके जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का समाधान करता है। गणेश चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
गणेश चालीसा के लाभ
गणेश चालीसा के नियमित पाठ से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
- विघ्न दूर होते हैं: गणेश जी विघ्नहर्ता हैं, इसलिए इनका पाठ करने से जीवन के सभी प्रकार के विघ्न दूर हो जाते हैं।
- बुद्धि का विकास: गणेश जी बुद्धि के देवता हैं। इनका पाठ करने से बुद्धि का विकास होता है।
- समृद्धि: गणेश जी समृद्धि के देवता भी हैं। इनका पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि आती है।
- मन की शांति: गणेश चालीसा का पाठ करने से मन शांत होता है और तनाव कम होता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: गणेश चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
निष्कर्ष
गणेश चालीसा का पाठ करना एक बहुत ही पवित्र और लाभकारी कार्य है। यह भक्तों को मानसिक शांति, समृद्धि और सफलता प्रदान करता है। यदि आप अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना चाहते हैं, तो गणेश चालीसा का नियमित पाठ अवश्य करें।
अन्य जानकारी:
- आप गणेश चालीसा का पाठ किसी भी समय कर सकते हैं, लेकिन बुधवार को इसका विशेष महत्व होता है।
- गणेश चालीसा के पाठ के साथ आप गणेश जी को मोदक, दूर्वा आदि भी चढ़ा सकते हैं।
- गणेश चालीसा के पाठ के दौरान आप अपनी मनोकामनाएं भी मांग सकते हैं।
ध्यान दें:
यह जानकारी सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान से पहले किसी विद्वान या पंडित से सलाह लेना उचित होता है।