नमस्ते, श्रद्धालु भक्तों! नर्मदा माँ की कृपा आप सभी पर सदैव बनी रहे। माँ नर्मदा, जो पवित्रता और दिव्यता की प्रतीक हैं, की आराधना से जीवन में शांति और सुख की प्राप्ति होती है।
नर्मदा चालीसा का पाठ नियमित रूप से करने से मन को शांति और जीवन में समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस चालीसा का पाठ करते समय नर्मदा नदी के पवित्र जल का अर्चन करने से विशेष लाभ होता है। पाठ से पहले नर्मदा माँ की प्रतिमा के सामने दीप जलाएं और भक्ति भाव से चालीसा का पाठ करें। इससे नर्मदा माँ की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में हर कार्य में सफलता मिलती है।
आइये, हम सभी नर्मदा माँ की आराधना कर इस चालीसा का पवित्र पाठ करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुखमय और समृद्ध बनाएं।
जय माँ नर्मदा!
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॥ दोहा ॥
देवि पूजित, नर्मदा, महिमा बड़ी अपार।
चालीसा वर्णन करत, कवि अरु भक्त उदार॥
इनकी सेवा से सदा, मिटते पाप महान।
तट पर कर जप दान नर, पाते हैं नित ज्ञान ॥
॥ चौपाई ॥
जय-जय-जय नर्मदा भवानी,
तुम्हरी महिमा सब जग जानी।
अमरकण्ठ से निकली माता,
सर्व सिद्धि नव निधि की दाता।
कन्या रूप सकल गुण खानी,
जब प्रकटीं नर्मदा भवानी।
सप्तमी सुर्य मकर रविवारा,
अश्वनि माघ मास अवतारा।
वाहन मकर आपको साजैं,
कमल पुष्प पर आप विराजैं।
ब्रह्मा हरि हर तुमको ध्यावैं,
तब ही मनवांछित फल पावैं।
दर्शन करत पाप कटि जाते,
कोटि भक्त गण नित्य नहाते।
जो नर तुमको नित ही ध्यावै,
वह नर रुद्र लोक को जावैं।
मगरमच्छा तुम में सुख पावैं,
अंतिम समय परमपद पावैं।
मस्तक मुकुट सदा ही साजैं,
पांव पैंजनी नित ही राजैं।
कल-कल ध्वनि करती हो माता,
पाप ताप हरती हो माता।
पूरब से पश्चिम की ओरा,
बहतीं माता नाचत मोरा।
शौनक ऋषि तुम्हरौ गुण गावैं,
सूत आदि तुम्हरौं यश गावैं।
शिव गणेश भी तेरे गुण गवैं,
सकल देव गण तुमको ध्यावैं।
कोटि तीर्थ नर्मदा किनारे,
ये सब कहलाते दु:ख हारे।
मनोकमना पूरण करती,
सर्व दु:ख माँ नित ही हरतीं।
कनखल में गंगा की महिमा,
कुरुक्षेत्र में सरस्वती महिमा।
पर नर्मदा ग्राम जंगल में,
नित रहती माता मंगल में।
एक बार कर के स्नाना ,
तरत पिढ़ी है नर नारा।
मेकल कन्या तुम ही रेवा,
तुम्हरी भजन करें नित देवा।
जटा शंकरी नाम तुम्हारा,
तुमने कोटि जनों को है तारा।
समोद्भवा नर्मदा तुम हो,
पाप मोचनी रेवा तुम हो।
तुम्हरी महिमा कहि नहीं जाई,
करत न बनती मातु बड़ाई।
जल प्रताप तुममें अति माता,
जो रमणीय तथा सुख दाता।
चाल सर्पिणी सम है तुम्हारी,
महिमा अति अपार है तुम्हारी।
तुम में पड़ी अस्थि भी भारी,
छुवत पाषाण होत वर वारि।
यमुना मे जो मनुज नहाता,
सात दिनों में वह फल पाता।
सरस्वती तीन दीनों में देती,
गंगा तुरत बाद हीं देती।
पर रेवा का दर्शन करके
मानव फल पाता मन भर के।
तुम्हरी महिमा है अति भारी,
जिसको गाते हैं नर-नारी।
जो नर तुम में नित्य नहाता,
रुद्र लोक मे पूजा जाता।
जड़ी बूटियां तट पर राजें,
मोहक दृश्य सदा हीं साजें|
वायु सुगंधित चलती तीरा,
जो हरती नर तन की पीरा।
घाट-घाट की महिमा भारी,
कवि भी गा नहिं सकते सारी।
नहिं जानूँ मैं तुम्हरी पूजा,
और सहारा नहीं मम दूजा।
हो प्रसन्न ऊपर मम माता,
तुम ही मातु मोक्ष की दाता।
जो मानव यह नित है पढ़ता,
उसका मान सदा ही बढ़ता।
जो शत बार इसे है गाता,
वह विद्या धन दौलत पाता।
अगणित बार पढ़ै जो कोई,
पूरण मनोकामना होई।
सबके उर में बसत नर्मदा,
यहां वहां सर्वत्र नर्मदा ।
॥ दोहा ॥
भक्ति भाव उर आनि के, जो करता है जाप।
माता जी की कृपा से, दूर होत संताप॥
॥ इति श्री नर्मदा चालीसा ॥
नर्मदा चालीसा के बारे में
नर्मदा नदी को भारत की पवित्र नदियों में से एक माना जाता है। इसे ‘रेवा’ नाम से भी जाना जाता है। नर्मदा चालीसा नर्मदा माता की स्तुति में लिखी गई एक भक्तिमय रचना है। यह चालीसा नर्मदा माता के जीवन और लीलाओं का वर्णन करती है और उनके प्रति भक्ति और श्रद्धा को बढ़ावा देती है।
नर्मदा चालीसा पढ़ने की विधि
- शुद्ध मन: चालीसा का पाठ करते समय मन को शांत और एकाग्र रखें।
- श्रद्धा: नर्मदा माता के प्रति अटूट श्रद्धा और विश्वास रखें।
- स्थान: किसी साफ-सुथरे स्थान पर बैठकर या खड़े होकर पाठ करें।
- दिशा: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- पूजा: पाठ से पहले नर्मदा माता की तस्वीर या मूर्ति के सामने दीपक जलाकर और धूप-अगरबत्ती दिखाकर पूजा करें।
- उच्चारण: चालीसा का पाठ करते समय स्पष्ट उच्चारण करें।
- अर्थ: हर चौपाई का अर्थ समझते हुए पाठ करें।
- नियमितता: प्रतिदिन या सप्ताह में एक बार निश्चित समय पर पाठ करने का प्रयास करें।
नर्मदा चालीसा का महत्त्व
नर्मदा चालीसा का पाठ करने का बहुत महत्व है। यह नर्मदा माता की कृपा प्राप्त करने का एक शक्तिशाली माध्यम है।
- पाप मोचन: नर्मदा माता सभी पापों को धो देती हैं।
- सुख-शांति: यह व्यक्ति को सुख और शांति प्रदान करती है।
- मनोकामना पूर्ति: यह मनोकामनाओं को पूरा करती है।
- रोग निवारण: यह कई रोगों से बचाती है।
नर्मदा चालीसा के लाभ
- मन की शांति: यह मन को शांत और तनावमुक्त बनाता है।
- आशीर्वाद: नर्मदा माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: यह सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।
- जीवन में सफलता: जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।
नर्मदा चालीसा का पाठ करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। यह चालीसा सभी उम्र के लोगों के लिए लाभदायक है।