प्रणाम, भक्तजनों! भगवान महावीर, जो जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर हैं, की उपासना से जीवन में सत्य, अहिंसा और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है।महावीर चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
इस चालीसा का पाठ करते समय भगवान महावीर की प्रतिमा के सामने दीप जलाएं और भक्ति भाव से पाठ करें। यह विधि विशेष रूप से उन भक्तों के लिए लाभकारी है जो आत्म-संयम और शांति की प्राप्ति की कामना करते हैं।
आइये, हम सभी भगवान महावीर की आराधना कर इस चालीसा का पवित्र पाठ करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को शांति और समृद्धि से भरपूर बनाएं।
जय भगवान महावीर!
Mahavir Chalisa PDF Download करने के लिए, कृपया यहाँ जाएँ – महावीर चालीसा पीडीऍफ़
॥ दोहा ॥
शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन करू प्रणाम
उपाध्याय आचार्य का ले सुखकारी नाम ॥१॥
सर्व साधू और सरस्वती, जिनमन्दिर सुखकार
महावीर भगवान् को मन मंदिर में धार ॥२॥
॥ चौपाई ॥
जय महावीर दयालु स्वामी,
वीर प्रभु तुम जग में नामी
वर्धमान हैं नाम तुम्हारा,
लगे हृदय को प्यारा प्यारा ॥३॥
शांत छवि मन मोहिनी मूरत,
शांत हंसिली सोहिनी सूरत
तुमने वेश दिगंबर धारा,
करम शत्रु भी तुमसे हारा ॥४॥
क्रोध मान वा लोभ भगाया
माया ने तुमसे डर खाया
तू सर्वज्ञ सर्व का ज्ञाता,
तुझको दुनिया से क्या नाता ॥५॥
तुझमे नहीं राग वा द्वेष,
वीतराग तू हित उपदेश
तेरा नाम जगत में सच्चा,
जिसको जाने बच्चा बच्चा ॥६॥
भुत प्रेत तुमसे भय खावे,
व्यंतर राक्षस सब भाग जावे
महा व्याधि मारी न सतावे,
अतिविकराल काल डर खावे ॥७॥
काला नाग होय फन धारी,
या हो शेर भयंकर भारी
ना ही कोई बचाने वाला,
स्वामी तुम ही करो प्रतिपाला ॥८॥
अग्नि दावानल सुलग रही हो,
तेज हवा से भड़क रही हो
नाम तुम्हारा सब दुख खोवे,
आग एकदम ठंडी होवे ॥९॥
हिंसामय था भारत सारा,
तब तुमने लीना अवतारा
जन्म लिया कुंडलपुर नगरी,
हुई सुखी तब जनता सगरी ॥१०॥
सिद्धार्थ जी पिता तुम्हारे,
त्रिशाला की आँखों के तारे
छोड़ के सब झंझट संसारी,
स्वामी हुए बाल ब्रम्हाचारी ॥११॥
पंचम काल महा दुखदायी,
चांदनपुर महिमा दिखलाई
टीले में अतिशय दिखलाया,
एक गाय का दुध झराया ॥१२॥
सोच हुआ मन में ग्वाले के,
पंहुचा एक फावड़ा लेके
सारा टीला खोद गिराया,
तब तुमने दर्शन दिखलाया ॥१३॥
जोधराज को दुख ने घेरा,
उसने नाम जपा जब तेरा
ठंडा हुआ तोप का गोला,
तब सब ने जयकारा बोला ॥१४॥
मंत्री ने मंदिर बनवाया,
राजा ने भी दरब लगाया
बड़ी धर्मशाला बनवाई,
तुमको लाने की ठहराई ॥१५॥
तुमने तोड़ी बीसों गाडी,
पहिया खिसका नहीं अगाडी
ग्वाले ने जब हाथ लगाया,
फिर तो रथ चलता ही पाया ॥१६॥
पहले दिन बैसाख वदी के,
रथ जाता है तीर नदी के
मीना गुजर सब ही आते,
नाच कूद सब चित उमगाते ॥१७॥
स्वामी तुमने प्रेम निभाया,
ग्वाले का तुम मान बढाया
हाथ लगे ग्वाले का तब ही,
स्वामी रथ चलता हैं तब ही ॥१८॥
मेरी हैं टूटी सी नैया,
तुम बिन स्वामी कोई ना खिवैया
मुझ पर स्वामी ज़रा कृपा कर,
मैं हु प्रभु तुम्हारा चाकर ॥१९॥
तुमसे मैं प्रभु कुछ नहीं चाहू,
जनम जनम तव दर्शन चाहू
चालिसे को चन्द्र बनावे,
वीर प्रभु को शीश नमावे ॥२०॥
॥ सोरठा ॥
नित ही चालीस बार, पाठ करे चालीस
खेय धुप अपार, वर्धमान जिन सामने ॥
होय कुबेर समान, जन्म दरिद्र होय जो
जिसके नहीं संतान, नाम वंश जग में चले ॥
महावीर स्वामी का जीवन चरित्र
भगवान महावीर, जो जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर हैं, का जन्म लगभग 599 ईसा पूर्व में कुण्डलपुर नगर (वर्तमान बिहार, भारत) में हुआ था। उनके पिता का नाम राजा सिद्धार्थ और माता का नाम महारानी त्रिसला था। भगवान महावीर का जन्म नाथ वंश में हुआ, और इनकी माता का दूसरा नाम प्रियकारिणी देवी भी था।
महावीर स्वामी ने 30 वर्ष की आयु में गृह त्याग कर दिया और 12 वर्षों तक तपस्या की। उन्हें केवल ज्ञान प्राप्ति के बाद 30 वर्षों तक ज्ञान का प्रचार-प्रसार किया। उनके प्रमुख शिष्य गौतम गणधर थे। महावीर स्वामी की शिक्षाओं में अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह जैसे सिद्धांत शामिल हैं। इनकी स्वामी की पहचान सिंह चिन्ह द्वारा होती है।
भगवान महावीर को मोक्ष प्राप्ति कार्तिक कृष्णा अमावस्या को हुई थी। उनकी उपदेशों ने जैन धर्म के अनुयायियों को जीवन के सत्य और नैतिकता की ओर प्रेरित किया और आज भी उनकी शिक्षाओं का पालन किया जाता है।
महावीर स्वामी के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और धार्मिक योगदानों के कारण उन्हें जैन धर्म में बहुत सम्मानित स्थान प्राप्त है।
महावीर स्वामी चालीसा पढ़ने की विधि
महावीर स्वामी चालीसा एक भक्ति गीत है जिसे भगवान महावीर की स्तुति करने के लिए गाया जाता है। इसे पढ़ने की कोई विशेष विधि नहीं है। आप इसे अपने मन की शांति और आध्यात्मिक विकास के लिए किसी भी समय पढ़ सकते हैं।
- शांत वातावरण: चालीसा पढ़ने के लिए एक शांत और स्वच्छ स्थान चुनें।
- ध्यान: पढ़ने से पहले कुछ पल ध्यान करें ताकि आपका मन एकाग्र हो।
- भाव: चालीसा के प्रत्येक शब्द को ध्यान से पढ़ें और उसका अर्थ समझने का प्रयास करें।
- भावना: भगवान महावीर के प्रति श्रद्धा और भक्ति के साथ चालीसा पढ़ें।
महावीर स्वामी चालीसा का महत्त्व
महावीर स्वामी चालीसा का महत्त्व इस प्रकार है:
- आध्यात्मिक विकास: चालीसा पढ़ने से मन शांत होता है और आध्यात्मिक विकास होता है।
- मन की शांति: यह तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है।
- नैतिक मूल्यों का विकास: चालीसा के माध्यम से हम नैतिक मूल्यों को सीखते हैं।
- भगवान महावीर के प्रति श्रद्धा: यह भगवान महावीर के प्रति श्रद्धा और भक्ति को बढ़ाता है।
महावीर स्वामी चालीसा के लाभ
महावीर स्वामी चालीसा के कई लाभ हैं:
- मन की शांति: यह मन को शांत और स्थिर करता है।
- तनाव मुक्ति: यह तनाव और चिंता को कम करता है।
- नकारात्मक विचारों से मुक्ति: यह नकारात्मक विचारों को दूर करता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: यह सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।
- आत्मज्ञान: यह आत्मज्ञान प्राप्त करने में मदद करता है।
महावीर चालीसा एक शक्तिशाली साधन है जो हमें आध्यात्मिक विकास और मन की शांति प्राप्त करने में मदद करता है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से हमारा जीवन सकारात्मक और सुखमय बन सकता है।