प्रिय भक्तजन, आप सभी को सादर प्रणाम और शुभकामनाएँ। इस पावन अवसर पर, मैं आपका धन्यवाद करता हूँ और आपके स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति की प्रार्थना करता हूँ।
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम्।
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥
माँ गायत्री, जो वेद माता और ज्ञान की देवी हैं, उनकी आराधना से हमें आत्मिक शांति, समृद्धि और जीवन में प्रकाश की प्राप्ति होती है। माँ गायत्री की कृपा से हमारे जीवन के सभी कष्ट और विघ्न दूर होते हैं और हमें ज्ञान, विवेक और आत्मिक संतुलन मिलता है। गायत्री चालीसा का पाठ करने से हमारे जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि आती है।
आइये, हम सब मिलकर माँ गायत्री चालीसा का पवित्र पाठ करें और माँ गायत्री के दिव्य आशीर्वाद से अपने जीवन को ज्ञानमय और मंगलमय बनाएं। उनकी महिमा का गुणगान करते हुए, हम उनके आशीर्वाद से अपने जीवन में शांति, समृद्धि और ज्ञान की प्राप्ति करेंगे।
जय माँ गायत्री!
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।। दोहा ।।
हीं श्रीं, क्लीं, मेधा, प्रभा, जीवन ज्योति प्रचण्ड ।
शांति, क्रांति, जागृति, प्रगति, रचना शक्ति अखण्ड ।।
जगत जननि, मंगल करनि, गायत्री सुखधाम ।
प्रणवों सावित्री, स्वधा, स्वाहा पूरन काम ।।
॥ चालीसा ॥
भूर्भुवः स्वः ओम युत जननी ।
गायत्री नित कलिमल दहनी ।।
अक्षर चौबिस परम पुनीता ।
इनमें बसें शास्त्र, श्रुति, गीता ।।
शाश्वत सतोगुणी सतरुपा ।
सत्य सनातन सुधा अनूपा ।।
हंसारुढ़ सितम्बर धारी ।
स्वर्णकांति शुचि गगन बिहारी ।।
पुस्तक पुष्प कमंडलु माला ।
शुभ्र वर्ण तनु नयन विशाला ।।
ध्यान धरत पुलकित हिय होई ।
सुख उपजत, दुःख दुरमति खोई ।।
कामधेनु तुम सुर तरु छाया ।
निराकार की अदभुत माया ।।
तुम्हरी शरण गहै जो कोई ।
तरै सकल संकट सों सोई ।।
सरस्वती लक्ष्मी तुम काली ।
दिपै तुम्हारी ज्योति निराली ।।
तुम्हरी महिमा पारन पावें ।
जो शारद शत मुख गुण गावें ।।
चार वेद की मातु पुनीता ।
तुम ब्रहमाणी गौरी सीता ।।
महामंत्र जितने जग माहीं ।
कोऊ गायत्री सम नाहीं ।।
सुमिरत हिय में ज्ञान प्रकासै ।
आलस पाप अविघा नासै ।।
सृष्टि बीज जग जननि भवानी ।
काल रात्रि वरदा कल्यानी ।।
ब्रहमा विष्णु रुद्र सुर जेते ।
तुम सों पावें सुरता तेते ।।
तुम भक्तन की भक्त तुम्हारे ।
जननिहिं पुत्र प्राण ते प्यारे ।।
महिमा अपरम्पार तुम्हारी ।
जै जै जै त्रिपदा भय हारी ।।
पूरित सकल ज्ञान विज्ञाना ।
तुम सम अधिक न जग में आना ।।
तुमहिं जानि कछु रहै न शेषा ।
तुमहिं पाय कछु रहै न क्लेषा ।।
जानत तुमहिं, तुमहिं है जाई ।
पारस परसि कुधातु सुहाई ।।
तुम्हरी शक्ति दिपै सब ठाई ।
माता तुम सब ठौर समाई ।।
ग्रह नक्षत्र ब्रहमाण्ड घनेरे ।
सब गतिवान तुम्हारे प्रेरे ।।
सकलसृष्टि की प्राण विधाता ।
पालक पोषक नाशक त्राता ।।
मातेश्वरी दया व्रत धारी ।
तुम सन तरे पतकी भारी ।।
जापर कृपा तुम्हारी होई ।
तापर कृपा करें सब कोई ।।
मंद बुद्घि ते बुधि बल पावें ।
रोगी रोग रहित है जावें ।।
दारिद मिटै कटै सब पीरा ।
नाशै दुःख हरै भव भीरा ।।
गृह कलेश चित चिंता भारी ।
नासै गायत्री भय हारी ।।
संतिति हीन सुसंतति पावें ।
सुख संपत्ति युत मोद मनावें ।।
भूत पिशाच सबै भय खावें ।
यम के दूत निकट नहिं आवें ।।
जो सधवा सुमिरें चित लाई ।
अछत सुहाग सदा सुखदाई ।।
घर वर सुख प्रद लहैं कुमारी ।
विधवा रहें सत्य व्रत धारी ॥
जयति जयति जगदम्ब भवानी ।
तुम सम और दयालु न दानी ।।
जो सदगुरु सों दीक्षा पावें ।
सो साधन को सफल बनावें ।।
सुमिरन करें सुरुचि बड़भागी ।
लहैं मनोरथ गृही विरागी ।।
अष्ट सिद्घि नवनिधि की दाता ।
सब समर्थ गायत्री माता ।।
ऋषि, मुनि, यती, तपस्वी, जोगी ।
आरत, अर्थी, चिंतित, भोगी ।।
जो जो शरण तुम्हारी आवें ।
सो सो मन वांछित फल पावें ।।
बल, बुद्घि, विघा, शील स्वभाऊ ।
धन वैभव यश तेज उछाऊ ।।
सकल बढ़ें उपजे सुख नाना ।
जो यह पाठ करै धरि ध्याना ।।
॥ दोहा ॥
यह चालीसा भक्तियुत, पाठ करे जो कोय ।
तापर कृपा प्रसन्नता, गायत्री की होय ।।
माँ गायत्री के बारे में
माँ गायत्री देवी हिन्दू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं, जिन्हें ब्रह्मदेव की पत्नी और सावित्री देवी के रूप में भी जाना जाता है। उनका निवासस्थान सत्य लोक में है, और उनके प्रमुख अस्त्र शंख, चक्र, पद्म, परशु, गदा और पाश हैं। गायत्री देवी की साधना के लिए गायत्री मंत्र का जप और अनुष्ठान किया जाता है।
गायत्री मंत्र इस प्रकार है:
ॐ भूर्भुवः स्वः।
तत्सवितुर्वरेण्यम्।
भर्गो देवस्य धीमही।
धियो योनः प्रचोदयात्।
गायत्री मंत्र को हिन्दू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली मंत्र माना गया है। इस मंत्र के माध्यम से साधक सद्बुद्धि की प्राप्ति कर सकता है, जिससे जीवन में सुख, शांति और संतुलन आता है। गायत्री देवी के प्रति विश्वास रखने वाले लोग यह मानते हैं कि इस मंत्र का जप करने से उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं, और वे संसारिक और आत्मिक दोनों प्रकार के लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
गायत्री देवी को ‘वेदमाता’ भी कहा जाता है, क्योंकि वेदों की उत्पत्ति गायत्री के चौबीस अक्षरों से हुई मानी जाती है। इस प्रकार, गायत्री देवी को वेदों की माता के रूप में सम्मानित किया जाता है। गायत्री उपासना के माध्यम से साधक को दैवीय ज्ञान और प्रकाश की प्राप्ति होती है, जिससे उसके जीवन के सभी दुर्गुण और असत् विचार दूर हो जाते हैं।
पुराणों में यह वर्णन मिलता है कि सृष्टि के प्रारंभ में ब्रह्माजी ने गायत्री मंत्र की रचना की, और इस मंत्र के चौबीस अक्षरों से समस्त वेदों और ज्ञान की शाखाएँ उत्पन्न हुईं। इस प्रकार, गायत्री देवी को ज्ञान, बुद्धि और सृजन की देवी माना जाता है।
माँ गायत्री चालीसा पढ़ने की विधि
माँ गायत्री चालीसा का पाठ भक्तिभाव से करना चाहिए। पाठ करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर लेना चाहिए। एक शांत स्थान पर बैठकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके दीपक जलाकर माँ गायत्री का ध्यान करें। इसके बाद चालीसा का पाठ प्रारंभ करें। चालीसा का पाठ करते समय मन में माँ गायत्री के रूप का ध्यान लगाए रखें।
पाठ करते समय ध्यान रखने योग्य बातें:
- चालीसा का पाठ एकाग्रचित होकर करना चाहिए।
- पाठ करते समय किसी भी प्रकार का व्यवधान नहीं होना चाहिए।
- पाठ के दौरान मन में कोई भी नकारात्मक विचार नहीं लाना चाहिए।
माँ गायत्री चालीसा का महत्व
माँ गायत्री चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह चालीसा व्यक्ति को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाती है। माँ गायत्री की कृपा से व्यक्ति को जीवन में सफलता मिलती है। यह चालीसा व्यक्ति को सभी प्रकार की समस्याओं से बचाती है।
माँ गायत्री चालीसा के लाभ
- मन की शांति: माँ गायत्री चालीसा का पाठ करने से मन शांत होता है और तनाव दूर होता है।
- बुद्धि का विकास: यह चालीसा बुद्धि का विकास करती है और व्यक्ति को ज्ञानी बनाती है।
- रोगों से मुक्ति: माँ गायत्री की कृपा से व्यक्ति सभी प्रकार के रोगों से मुक्त हो जाता है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: माँ गायत्री की कृपा से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
- मोक्ष की प्राप्ति: माँ गायत्री की उपासना करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
निष्कर्ष
माँ गायत्री चालीसा का पाठ बहुत ही पुण्यदायी है। इस चालीसा का नियमित रूप से पाठ करने से व्यक्ति को जीवन में कई लाभ प्राप्त होते हैं। यदि आप भी माँ गायत्री की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो आप माँ गायत्री चालीसा का पाठ नियमित रूप से करें।