प्रिय भक्तगण, सर्वप्रथम, आप सभी को हार्दिक प्रणाम और मंगलकामनाएँ। हनुमान चालीसा के इस पावन पठन में आपका स्वागत है। मैं आपके स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति की प्रार्थना करता हूँ।
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत्॥
हनुमान चालीसा के पाठ के माध्यम से हम भगवान श्री हनुमान जी की कृपा प्राप्त करेंगे, जो हमें सभी विपत्तियों से बचाकर सदा सुख और शांति प्रदान करेंगे।
हनुमान जी, जिनका नाम मात्र लेने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और जिनकी भक्ति से जीवन में अद्भुत शक्ति और साहस का संचार होता है, उनकी आराधना हमें आत्मबल और संकल्प शक्ति प्रदान करती है।
आईये, इस पावन चालीसा का पाठ करें और भगवान श्री हनुमान जी की कृपा से अपने जीवन को धर्म, शांति और आनंद से परिपूर्ण करें।
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॥ दोहा॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार ॥
॥ चौपाई ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥
राम दूत अतुलित बल धामा ।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी ।
कुमति निवार सुमति के संगी ॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा ।
कानन कुण्डल कुँचित केसा ॥४
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै ।
काँधे मूँज जनेउ साजै ॥
शंकर सुवन केसरी नंदन ।
तेज प्रताप महा जगवंदन ॥
बिद्यावान गुनी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर ॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
राम लखन सीता मन बसिया ॥८
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
रामचन्द्र के काज सँवारे ॥
लाय सजीवन लखन जियाए ।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये ॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई ।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं ।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
नारद सारद सहित अहीसा ॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना ।
राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना ।
लंकेश्वर भए सब जग जाना ॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानु ।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥
दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥२०
राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।
तुम रक्षक काहू को डरना ॥
आपन तेज सम्हारो आपै ।
तीनों लोक हाँक तै काँपै ॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै ।
महावीर जब नाम सुनावै ॥२४
नासै रोग हरै सब पीरा ।
जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥
संकट तै हनुमान छुडावै ।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥
सब पर राम तपस्वी राजा ।
तिनके काज सकल तुम साजा ॥
और मनोरथ जो कोई लावै ।
सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८
चारों जुग परताप तुम्हारा ।
है परसिद्ध जगत उजियारा ॥
साधु सन्त के तुम रखवारे ।
असुर निकंदन राम दुलारे ॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।
अस बर दीन जानकी माता ॥
राम रसायन तुम्हरे पासा ।
सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२
तुम्हरे भजन राम को पावै ।
जनम जनम के दुख बिसरावै ॥
अंतकाल रघुवरपुर जाई ।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥
और देवता चित्त ना धरई ।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६
जै जै जै हनुमान गोसाईं ।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥
जो सत बार पाठ कर कोई ।
छूटहि बंदि महा सुख होई ॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥४०
॥ दोहा ॥
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ॥
श्री हनुमान चालीसा का परिचय
हनुमान जी, जिन्हें महाबली, महावीर, पवनपुत्र, बजरंगबली जैसे अनेक नामों से जाना जाता है, हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। वे भगवान शिव के अवतार और भगवान राम के परम भक्त माने जाते हैं। हनुमान जी का जन्म वानरराज केसरी और उनकी पत्नी अंजना के घर हुआ था। उनका जन्म त्रेतायुग के अंतिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को हुआ था। हनुमान जी को ‘चिरञ्जीवी’ माना जाता है, अर्थात वे चिरकाल तक जीवित रहने वाले देवता हैं।
बाल्यकाल और शिक्षा:
हनुमान जी का बचपन बहुत ही अद्भुत था। एक बार जब उनकी माता अंजना फल लाने गईं, हनुमान जी ने सूरज को फल समझकर उसे पकड़ने की कोशिश की। इस घटना के बाद इन्द्रदेव ने उन्हें वज्र से मारकर एक पर्वत पर गिराया, जिससे उनकी ठुड्डी टूट गई। इस घटना के कारण वायु देवता ने अपनी गति रोक दी, जिससे सारा संसार पीड़ा में था। इस संकट को दूर करने के लिए ब्रह्मा, इन्द्र और अन्य देवताओं ने हनुमान जी को अमोघ आशीर्वाद दिए।
हनुमान जी की प्रमुख घटनाएँ:
- रामायण में भूमिका:
- हनुमान जी की मुलाकात भगवान राम से तब हुई जब वे सीता माता की खोज में थे। हनुमान जी ने भगवान राम और सुग्रीव के बीच मित्रता करवाई, और लंका के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- सागर पार करना:
- हनुमान जी ने अपनी अद्भुत शक्तियों का उपयोग करते हुए विशाल समुद्र को पार किया। इस यात्रा में उन्होंने पर्वत को उठाकर लंका तक पहुँचाया और सीता माता से मिले।
- लंका का दहन:
- हनुमान जी ने रावण के आदेश पर अपनी पूंछ में आग लगवा ली और लंका को जला दिया।
- संजवनी बूटी:
- लंका युद्ध के दौरान जब लक्ष्मण मूर्छित हो गए, हनुमान जी ने द्रोणागिरी पर्वत को उठाकर संजीवनी बूटी की खोज की और लक्ष्मण की जान बचाई।
- पंचमुखी अवतार:
- हनुमान जी ने पाताल लोक में जाकर अहिरावण का वध किया और मकरध्वज को पातालपुरि का राजा बनाया।
हनुमान जी की भक्ति और बलिदान:
हनुमान जी का जीवन भक्ति, बलिदान और पराक्रम का प्रतीक है। वे भगवान राम और माता सीता के प्रति अपनी निस्वार्थ भक्ति के लिए प्रसिद्ध हैं। हनुमान जी की भक्ति और वीरता के कारण उन्हें सदा सम्मानित किया जाता है और उनकी उपासना की जाती है।
हनुमान जी के जीवन की गाथाएँ हमें उनके बल, समर्पण और भक्तिभाव से प्रेरित करती हैं, और उनके अद्वितीय गुण हमें जीवन में कठिनाइयों से लड़ने की प्रेरणा प्रदान करते हैं।
हनुमान चालीसा पढ़ने की विधि
हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए कोई विशेष विधि नहीं है। आप इसे किसी भी समय, किसी भी जगह पर पढ़ सकते हैं। हालांकि, मंगलवार या शनिवार के दिन हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर पाठ करना अधिक फलदायी माना जाता है।
- शांति और एकाग्रता: पाठ करते समय मन को शांत रखें और हनुमान जी पर ध्यान केंद्रित करें।
- शुद्ध मन: शुद्ध मन से पाठ करना चाहिए।
- विश्वास: हनुमान जी पर अटूट विश्वास रखें।
हनुमान चालीसा का महत्त्व
हनुमान चालीसा का पाठ करने से मन शांत होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। यह व्यक्ति को साहस और शक्ति प्रदान करता है। हनुमान चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
हनुमान चालीसा के लाभ
- संकटों से मुक्ति: हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को जीवन में आने वाले सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।
- शत्रुओं का नाश: यह शत्रुओं का नाश करने और बुरी नजर से रक्षा करने में मदद करता है।
- साहस और शक्ति: हनुमान चालीसा व्यक्ति को साहस और शक्ति प्रदान करता है।
- मन की शांति: यह मन को शांत करता है और तनाव को कम करता है।
- विद्या और बुद्धि: हनुमान जी को विद्या का देवता भी माना जाता है, इसलिए यह व्यक्ति को विद्या और बुद्धि प्रदान करता है।
निष्कर्ष
श्री हनुमान चालीसा एक अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली स्तोत्र है। इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। यदि आप अपने जीवन में सुख, शांति और सफलता चाहते हैं, तो आप श्री हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें।
ध्यान दें: किसी भी धार्मिक ग्रंथ का पाठ करते समय, उस ग्रंथ के अर्थ को समझने का प्रयास करना चाहिए। श्री हनुमान चालीसा का पाठ करते समय, हनुमान जी के गुणों और उनके प्रति श्रद्धाभाव रखना महत्वपूर्ण है।