नमस्ते, भक्तजनों! गोरखनाथ, जो नाथ सम्प्रदाय के प्रमुख हैं, की उपासना से जीवन में शक्ति, ज्ञान और साधना का विकास होता है। गोरखनाथ जी के मुख्य उपदेश में आंतरिक शुद्धता, तपस्या, ध्यान और ब्रह्मचर्य का पालन करने पर जोर दिया गया है। उनका मुख्य लक्ष्य आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष की प्राप्ति था। गोरखनाथ जी की शिक्षाएं आज भी नाथ योगियों और अनुयायियों द्वारा पूजी जाती हैं |
गोरखनाथ चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है। इस चालीसा का पाठ करते समय गोरखनाथ की प्रतिमा के सामने दीप जलाएं और भक्ति भाव से पाठ करें। यह विधि विशेष रूप से उन भक्तों के लिए लाभकारी है जो आत्म-साधना और आध्यात्मिक उन्नति की कामना करते हैं।
आइये, हम सभी गोरखनाथ की आराधना कर इस चालीसा का पवित्र पाठ करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुखमय और समृद्ध बनाएं।
जय गोरखनाथ!
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॥ दोहा ॥
गणपति गिरिजा पुत्र को, सिमरूँ बारम्बार।
हाथ जोड़ विनती करूँ, शारद नाम अधार।।
॥ चौपाई ॥
जय जय जय गोरख अविनाशी,
कृपा करो गुरुदेव प्रकाशी।
जय जय जय गोरख गुणज्ञानी,
इच्छा रूप योगी वरदानी।।
अलख निरंजन तुम्हरो नामा,
सदा करो भक्तन हित कामा।
नाम तुम्हारा जो कोई गावे,
जन्म जन्म के दुःख नशावे।
जो कोई गोरक्ष नाम सुनावे,
भूत पिशाच निकट नहीं आवे।
ज्ञान तुम्हारा योग से पावे,
रूप तुम्हार लख्या ना जावे।
निराकार तुम हो निर्वाणी,
महिमा तुम्हरी वेद बखानी।
घट घट के तुम अन्तर्यामी,
सिद्ध चौरासी करें प्रणामी।
भस्म अङ्ग गले नाद विराजे,
जटा सीस अति सुन्दर साजे।
तुम बिन देव और नहीं दूजा,
देव मुनी जन करते पूजा।
चिदानन्द सन्तन हितकारी,
मङ़्गल करे अमङ़्गल हारी।
पूरण ब्रह्म सकल घट वासी,
गोरक्षनाथ सकल प्रकासी।
गोरक्ष गोरक्ष जो कोई ध्यावे,
ब्रह्म रूप के दर्शन पावे।
शङ़्कर रूप धर डमरू बाजे,
कानन कुण्डल सुन्दर साजे।
नित्यानन्द है नाम तुम्हारा,
असुर मार भक्तन रखवारा।
अति विशाल है रूप तुम्हारा,
सुर नर मुनि जन पावं न पारा।
दीन बन्धु दीनन हितकारी,
हरो पाप हम शरण तुम्हारी।
योग युक्ति में हो प्रकाशा,
सदा करो सन्तन तन वासा।
प्रातःकाल ले नाम तुम्हारा,
सिद्धि बढ़े अरु योग प्रचारा।
हठ हठ हठ गोरक्ष हठीले,
मार मार वैरी के कीले।
चल चल चल गोरक्ष विकराला,
दुश्मन मान करो बेहाला।
जय जय जय गोरक्ष अविनासी,
अपने जन की हरो चौरासी।
अचल अगम हैं गोरक्ष योगी,
सिद्धि देवो हरो रस भोगी।
काटो मार्ग यम की तुम आई,
तुम बिन मेरा कौन सहाई।
अजर अमर है तुम्हरो देहा,
सनकादिक सब जोहहिं नेहा।
कोटि न रवि सम तेज तुम्हारा,
है प्रसिद्ध जगत उजियारा।
योगी लखें तुम्हारी माया,
पार ब्रह्म से ध्यान लगाया।
ध्यान तुम्हारा जो कोई लावे,
अष्ट सिद्धि नव निधि घर पावे।
शिव गोरक्ष है नाम तुम्हारा,
पापी दुष्ट अधम को तारा।
अगम अगोचर निर्भय नाथा,
सदा रहो सन्तन के साथा।
शङ़्कर रूप अवतार तुम्हारा,
गोपीचन्द भर्तृहरि को तारा।
सुन लीजो गुरु अरज हमारी,
कृपा सिन्धु योगी ब्रह्मचारी।
पूर्ण आस दास की कीजे,
सेवक जान ज्ञान को दीजे।
पतित पावन अधम अधारा,
तिनके हेतु तुम लेत अवतारा।
अलख निरंजन नाम तुम्हारा,
अगम पंथ जिन योग प्रचारा।
जय जय जय गोरक्ष भगवाना,
सदा करो भक्तन कल्याना।
जय जय जय गोरक्ष अविनाशी,
सेवा करें सिद्ध चौरासी।
जो पढ़ही गोरक्ष चालीसा,
होय सिद्ध साक्षी जगदीशा।
बारह पाठ पढ़े नित्य जोई,
मनोकामना पूरण होई।
और श्रद्धा से रोट चढ़ावे,
हाथ जोड़कर ध्यान लगावे।
॥ दोहा ॥
सुने सुनावे प्रेमवश, पूजे अपने हाथ
मन इच्छा सब कामना, पूरे गोरक्षनाथ।
अगम अगोचर नाथ तुम, पारब्रह्म अवतार।
कानन कुण्डल सिर जटा, अंग विभूति अपार।
सिद्ध पुरुष योगेश्वरों, दो मुझको उपदेश।
हर समय सेवा करूँ, सुबह शाम आदेश।
गुरु गोरखनाथ के बारे में
गोरखनाथ एक प्रसिद्ध योगी और संत थे, जो हिंदू धर्म के नाथ परंपरा के एक महत्वपूर्ण साधक माने जाते हैं। उनका जन्म स्थान नेपाल में माना जाता है और वे भगवान शिव के अवतार के रूप में पूजें जाते हैं। गोरखनाथ का जन्म और जीवनकाल के बारे में कई किंवदंतियां प्रचलित हैं, लेकिन वे योग और अध्यात्म के क्षेत्र में अपने अद्वितीय योगदान के लिए जाने जाते हैं।
गोरखनाथ का जीवन और योगदान
- नाथ संप्रदाय के संस्थापक: गोरखनाथ को नाथ संप्रदाय का संस्थापक माना जाता है। इस संप्रदाय ने योग, तंत्र और अध्यात्म के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- योग और साधना: गोरखनाथ एक महान योगी थे। उन्होंने कई योगासन और साधनाओं का विकास किया।
- दर्शन: उन्होंने एक विशिष्ट दर्शन का प्रतिपादन किया जो योग, तंत्र और वेदांत का मिश्रण था।
- सामाजिक सुधारक: गोरखनाथ एक सामाजिक सुधारक भी थे। उन्होंने जातिवाद और अंधविश्वास के खिलाफ आवाज उठाई।
- कवि और संगीतकार: वे एक कुशल कवि और संगीतकार भी थे। उनकी रचनाओं में योग और अध्यात्म के गूढ़ रहस्य छिपे हुए हैं।
गुरु गोरखनाथ चालीसा पढ़ने की विधि
गोरखनाथ चालीसा का पाठ करने के लिए निम्नलिखित विधि अपनाई जाती है:
- शुद्ध मन से: चालीसा का पाठ करते समय मन को शांत और एकाग्र रखें।
- श्रद्धा के साथ: गुरु गोरखनाथ जी के प्रति अटूट श्रद्धा और विश्वास रखें।
- सच्चे मन से: हर चौपाई का अर्थ समझते हुए पाठ करें।
- नियमित रूप से: प्रतिदिन या सप्ताह में एक बार निश्चित समय पर पाठ करने का प्रयास करें।
- योगासन के बाद: योगासन करने के बाद चालीसा का पाठ करने से अधिक लाभ मिलता है।
गुरु गोरखनाथ चालीसा का महत्त्व
गोरखनाथ चालीसा का विशेष महत्त्व इसलिए है क्योंकि यह भक्तों को गोरखनाथ की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सुख-समृद्धि के लिए मार्गदर्शन करता है। इसमें गोरखनाथ की महानता, उनके गुण, और दिव्य शक्तियों का वर्णन किया गया है। यह चालीसा मानसिक शांति प्रदान करने के साथ-साथ भक्ति और ध्यान के लिए एक महत्वपूर्ण साधन भी है।
गुरु गोरखनाथ चालीसा के लाभ
गोरखनाथ चालीसा का पाठ करने के निम्नलिखित लाभ होते हैं:
- मानसिक शांति: नियमित पाठ से मन में शांति और स्थिरता बनी रहती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: चालीसा का पाठ सकारात्मकता को बढ़ाता है और नकारात्मकता को दूर करता है।
- समस्याओं का समाधान: भक्तों का विश्वास है कि गोरखनाथ की कृपा से जीवन की समस्याओं का समाधान होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: यह आत्मा की उन्नति में सहायक होता है, जिससे साधक को ध्यान और साधना में मदद मिलती है।
गोरखनाथ चालीसा का पाठ करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। यह चालीसा सभी उम्र के लोगों के लिए लाभदायक है।