प्रणाम, श्रद्धालु भक्तजन! माँ गौरी की कृपा आप सभी पर सदैव बनी रहे। इस पावन अवसर पर, मैं आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ और आपके जीवन में मंगलमय और शुभता की कामना करता हूँ। माँ गौरी, जिनकी ममता और करुणा अनंत है, उनकी उपासना से हमारे जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति का संचार होता है।
शास्त्रों में कहा गया है: “सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोऽस्तुते॥”
इस मंत्र का स्मरण करते हुए, हम माँ गौरी की शरण में जाते हैं, जो हमारे सभी कष्टों को हरती हैं और हमें हर कार्य में सफलता प्रदान करती हैं। गौरी चालीसा का पाठ हमें माँ गौरी के असीम प्रेम और आशीर्वाद का अनुभव कराता है, जो हमारे जीवन को सुख और शांति से भर देता है।
आइये, हम सभी माँ गौरी का स्मरण कर इस चालीसा का पाठ करें और उनके दिव्य आशीर्वाद से अपने जीवन को मंगलमय बनाएं। माँ गौरी की महिमा का गुणगान करते हुए, हम उनके आशीर्वाद से अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति करेंगे।
जय माँ गौरी!
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मंत्र ( Mantra)
या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
॥ चौपाई ॥
मन मंदिर मेरे आन बसो,
आरम्भ करूं गुणगान,
गौरी माँ मातेश्वरी,
दो चरणों का ध्यान।
पूजन विधी न जानती,
पर श्रद्धा है आपर,
प्रणाम मेरा स्विकारिये,
हे माँ प्राण आधार।
नमो नमो हे गौरी माता,
आप हो मेरी भाग्य विधाता,
शरनागत न कभी गभराता,
गौरी उमा शंकरी माता।
आपका प्रिय है आदर पाता,
जय हो कार्तिकेय गणेश की माता,
महादेव गणपति संग आओ,
मेरे सकल कलेश मिटाओ।
सार्थक हो जाए जग में जीना,
सत्कर्मो से कभी हटु ना,
सकल मनोरथ पूर्ण कीजो,
सुख सुविधा वरदान में दीज्यो।
हे माँ भाग्य रेखा जगा दो,
मन भावन सुयोग मिला दो,
मन को भाए वो वर चाहु,
ससुराल पक्ष का स्नेहा मै पायु।
परम आराध्या आप हो मेरी,
फ़िर क्यूं वर मे इतनी देरी,
हमरे काज सम्पूर्ण कीजियो,
थोडे में बरकत भर दीजियो।
अपनी दया बनाए रखना,
भक्ति भाव जगाये रखना,
गौरी माता अनसन रहना,
कभी न खोयूं मन का चैना।
देव मुनि सब शीश नवाते,
सुख सुविधा को वर मै पाते,
श्रद्धा भाव जो ले कर आया,
बिन मांगे भी सब कुछ पाया।
हर संकट से उसे उबारा,
आगे बढ़ के दिया सहारा,
जब भी माँ आप स्नेह दिखलावे,
निराश मन मे आस जगावे।
शिव भी आपका काहा ना टाले,
दया द्रष्टि हम पे डाले,
जो जन करता आपका ध्यान,
जग मे पाए मान सम्मान।
सच्चे मन जो सुमिरन करती,
उसके सुहाग की रक्षा करती,
दया द्रष्टि जब माँ डाले,
भव सागर से पार उतारे।
जपे जो ओम नमः शिवाय,
शिव परिवार का स्नेहा वो पाए,
जिसपे आप दया दिखावे,
दुष्ट आत्मा नहीं सतावे।
सता गुन की हो दता आप,
हर इक मन की ग्याता आप,
काटो हमरे सकल कलेश,
निरोग रहे परिवार हमेश।
दुख संताप मिटा देना माँ,
मेघ दया के बरसा देना माँ,
जबही आप मौज में आय,
हठ जय माँ सब विपदाए।
जीसपे दयाल हो माता आप,
उसका बढ़ता पुण्य प्रताप,
फल-फूल मै दुग्ध चढ़ाऊ,
श्रद्धा भाव से आपको ध्यायु।
अवगुन मेरे ढक देना माँ,
ममता आंचल कर देना मां,
कठिन नहीं कुछ आपको माता,
जग ठुकराया दया को पाता।
बिन पाऊ न गुन माँ तेरे,
नाम धाम स्वरूप बहू तेरे,
जितने आपके पावन धाम,
सब धामो को मां प्राणम।
आपकी दया का है ना पार,
तभी को पूजे कुल संसार,
निर्मल मन जो शरण मे आता,
मुक्ति की वो युक्ति पाता।
संतोष धन्न से दामन भर दो,
असम्भव को माँ सम्भव कर दो,
आपकी दया के भारे,
सुखी बसे मेरा परिवार।
अपकी महिमा अती निराली,
भक्तो के दुःख हरने वाली,
मनो कामना पुरन करती,
मन की दुविधा पल मे हरती।
चालीसा जो भी पढे-सुनाया,
सुयोग वर् वरदान मे पाए,
आशा पूर्ण कर देना माँ,
सुमंगल साखी वर देना माँ।
गौरी माँ विनती करूँ,
आना आपके द्वार,
ऐसी माँ कृपा किजिये,
हो जाए उद्धहार।
हीं हीं हीं शरण मे,
दो चरणों का ध्यान,
ऐसी माँ कृपा कीजिये,
पाऊँ मान सम्मान।
जय मां गौरी
माता गौरी: शक्ति और सौंदर्य की देवी
माता गौरी को हिंदू धर्म में शक्ति और सौंदर्य की देवी के रूप में पूजा जाता है। वे देवी पार्वती का ही एक रूप हैं। माता गौरी को शिव की अर्धांगिनी माना जाता है। उन्हें श्वेत वर्ण और शांत स्वभाव वाली देवी के रूप में चित्रित किया जाता है।
गौरी चालीसा पढ़ने की विधि
गौरी चालीसा का पाठ करते समय इन बातों का ध्यान रखें:
- शुद्ध मन: पाठ करते समय मन को शांत और एकाग्र रखें।
- श्रद्धा: माता गौरी के प्रति अटूट श्रद्धा रखें।
- विधि: आप बैठकर या खड़े होकर भी पाठ कर सकते हैं।
- समय: आप किसी भी शुभ समय में पाठ कर सकते हैं। सोमवार का दिन माता गौरी को समर्पित होता है, इसलिए इस दिन पाठ करना विशेष फलदायी माना जाता है।
- पूजा: पाठ से पहले माता गौरी की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाकर और धूप-अगरबत्ती दिखाकर पूजा करें।
गौरी चालीसा का महत्त्व
गौरी चालीसा का पाठ करने का बहुत महत्व है। यह माता गौरी के प्रति भक्ति को बढ़ाता है और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का एक माध्यम है।
- मन की शांति: यह मन को शांत और तनावमुक्त बनाता है।
- सुख-समृद्धि: यह सुख-समृद्धि लाता है।
- विवाह में सफलता: विवाह योग्य युवतियों के लिए विवाह में सफलता मिलती है।
- संकटों से मुक्ति: यह जीवन के सभी संकटों से मुक्ति दिलाता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: यह सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।
गौरी चालीसा के लाभ
- मनोकामनाओं की पूर्ति: माता गौरी की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- रोग मुक्ति: शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।
- आध्यात्मिक विकास: आध्यात्मिक विकास होता है।
- सौंदर्य: माता गौरी की कृपा से व्यक्ति सुंदर और आकर्षक बनता है।
- सुखी वैवाहिक जीवन: विवाहित जीवन सुखमय होता है।
गौरी चालीसा का पाठ करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। यह चालीसा सभी उम्र के लोगों के लिए लाभदायक है।