प्रणाम, भक्तजनों! नमोकार मंत्र, जैन धर्म के प्रमुख मंत्रों में से एक है, जिसका उच्चारण हमें सभी प्रकार के पापों से मुक्त करता है और जीवन में शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
णमोकार चालीसा का पाठ करने से जीवन में शांति, सद्भावना और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस चालीसा का पाठ करते समय मन को शांत करें और इस मंत्र का उच्चारण करें। यह विधि विशेष रूप से उन भक्तों के लिए लाभकारी है जो अपने जीवन में शांति और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति करना चाहते हैं।
आइये, हम सभी णमोकार मंत्र की महिमा का गान कर इस चालीसा का पवित्र पाठ करें और इसके आशीर्वाद से अपने जीवन को मोक्ष की ओर अग्रसर करें।
जय णमोकार !
Namokar Chalisa PDF Download करने के लिए, कृपया यहाँ जाएँ – णमोकार चालीसा पीडीऍफ़
॥ दोहा ॥
वंदूँ श्रीअरिहंत पद, सिद्ध नाम सुखकार।
सूरी पाठक साधुगण, हैं जग के आधार ।।१।।
इन पाँचों परमेष्ठि से, सहित मूल यह मंत्र।
अपराजित व अनादि है, णमोकार शुभ मंत्र ।।२।।
णमोकार महामंत्र को, नमन करूँ शतबार।
चालीसा पढ़कर लहूँ, स्वात्मधाम साकार ।।३।।
॥ चौपाई ॥
हो जैवन्त अनादिमंत्रम्,
णमोकार अपराजित मंत्रम् ।।१।।
पंच पदों से युक्त सुयंत्रम्,
सर्वमनोरथ सिद्धि सुतंत्रम् ।।२।।
पैंतिस अक्षर माने इसमें,
अट्ठावन मात्राएँ भी हैं ।।३।।
अतिशयकारी मंत्र जगत में,
सब मंगल में कहा प्रथम है ।।४।।
जिसने इसका ध्यान लगाया,
मनमन्दिर में इसे बिठाया ।।५।।
उसका बेड़ा पार हो गया,
भवदधि से उद्धार हो गया ।।६।।
अंजन बना निरन्जन क्षण में,
शूली बदली सिंहासन में ।।७।।
नाग बना फूलों की माला,
हो गई शीतल अग्नी ज्वाला ।।८।।
जीवन्धर से इसी मंत्र को,
सुना श्वान ने मरणासन्न हो ।।९।।
शांतभाव से काया तजकर,
पाया पद यक्षेन्द्र हुआ तब ।।१०।।
एक बैल ने मंत्र सुना था,
राजघराने में जन्मा था |।११।।
जातिस्मरण हुआ जब उसको,
उसने खोजा उपकारी को ।।१२।।
पद्मरुची को गले लगाया,
आगे मैत्री भाव निभाया ।।१३।।
कालान्तर में वही पद्मरुचि,
राम बने तब बहुत धर्मरुचि ।।१४।।
बैल बना सुग्रीव बन्धुवर!
दोनों के सम्बन्ध मित्रवर ।।१५।।
रामायण की सत्य कथा है,
नमोकार से मिटी व्यथा है ।।१६।।
ऐसी ही कितनी घटनाएँ,
नए पुराने ग्रन्थ बताएँ ।।१७।।
इसीलिए इस मंत्र की महिमा,
कही सभी ने इसकी गरिमा ।।१८।।
हो अपवित्र पवित्र दशा में,
सदा करें संस्मरण हृदय में ।।१९।।
जपें शुद्धतन से जो माला,
वे पाते हैं सौख्य निराला ।।२०।।
अन्तर्मन पावन होता है,
बाहर का अघमल धोता है ।।२१।।
णमोकार के पैंतिस व्रत हैं,
श्रावक करते श्रद्धायुत हैं ।।२२।।
हर घर के दरवाजे पर तुम,
महामंत्र को लिखो जैनगण ।।२३।।
जैनी संस्कृति दर्शाएगा,
सुख समृद्धि भी दिलवाएगा ।।२४।।
एक तराजू के पलड़े पर,
सारे गुण भी रख देने पर ।।२५।।
दूजा पलड़ा मंत्र सहित जो,
उठा न पाए कोई उसको ।।२६।।
उठते चलते सभी क्षणों में,
जंगल पर्वत या महलों में ।।२७।।
महामंत्र को कभी न छोड़ो,
सदा इसी से नाता जोड़ो ।।२८।।
देखो! इक सुभौम चक्री था,
उसने मन में इसे जपा था ।।२९।।
देव मार नहिं पाया उसको,
तब छल युक्ति बताई नृप को ।।३०।।
उसके चंगुल में फस करके,
लिखा मंत्र राजा ने जल में ।।३१।।
ज्यों ही उस पर कदम रख दिया,
देव की शक्ती प्रगट कर दिया ।।३२।।
देव ने उसको मार गिराया,
नरक धरा को नृप ने पाया ।।३३।।
मंत्र का यह अपमान कथानक,
सचमुच ही है हृदय विदारक ।।३४।।
भावों से भी न अविनय करना,
सदा मंत्र पर श्रद्धा करना ।।३५।।
इसके लेखन में भी फल है,
हाथ नेत्र हो जाएं सफल है ।।३६।।
णमोकार की बैंक खुली है,
ज्ञानमती प्रेरणा मिली है ।।३७।।
जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर में,
मंत्रों का व्यापक संग्रह है ।।३८।।
इसकी किरण प्रभा से जग में,
फैले सुख शांती जन-जन में ।।३९।।
मन-वच-तन से इसे नमन है,
महामंत्र का करूं स्मरण मैं ।।४०।।
शंभु छंद
यह महामंत्र का चालीसा, जो चालिस दिन तक पढ़ते हैं।
ॐ अथवा असिआउसा मंत्र, या पूर्ण मंत्र जो जपते हैं।।
ॐकार मयी दिव्यध्वनि के, वे इक दिन स्वामी बनते हैं।
परमेष्ठी पद को पाकर वे, खुद णमोकारमय बनते हैं ।।१।।
पच्चिस सौ बाइस वीर अब्द, आश्विन शुक्ला एकम तिथि में।
रच दिया ज्ञानमति गणिनी की, शिष्या ‘‘चन्दनामती’’ मैंने।।
मैं भी परमेष्ठी पद पाऊँ, प्रभु कब ऐसा दिन आएगा।
जब मेरा मन अन्तर्मन में, रमकर पावन बन जाएगा ।।२।|
णमोकार चालीसा: जैन धर्म का एक पवित्र मंत्र
णमोकार मंत्र जैन धर्म का सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण मंत्र है। इसे जैन धर्म का हृदय कहा जाता है। इस मंत्र का पाठ करने से मन शांत होता है और आत्मा की शुद्धि होती है। णमोकार मंत्र को चालीसा के रूप में भी गाया जाता है जिसे णमोकार चालीसा कहा जाता है।
णमोकार चालीसा पढ़ने की विधि
णमोकार चालीसा का पाठ करते समय इन बातों का ध्यान रखें:
- शुद्ध मन: पाठ करते समय मन को शांत और एकाग्र रखें।
- श्रद्धा: तीर्थंकरों और जैन सिद्धांतों में अटूट श्रद्धा रखें।
- विधि: आप बैठकर या खड़े होकर भी पाठ कर सकते हैं।
- समय: आप किसी भी शुभ समय में पाठ कर सकते हैं।
- पूजा: पाठ से पहले तीर्थंकरों की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाकर और धूप-अगरबत्ती दिखाकर पूजा करें।
णमोकार चालीसा का महत्त्व
णमोकार चालीसा का पाठ करने का बहुत महत्व है। यह जैन धर्म के मूल सिद्धांतों को समझने और आत्मकल्याण का मार्ग प्रशस्त करने में मदद करता है।
- आत्मशुद्धि: यह आत्मा को शुद्ध करता है और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग दिखाता है।
- मन की शांति: यह मन को शांत और तनावमुक्त बनाता है।
- ज्ञान वृद्धि: यह ज्ञान को बढ़ाता है और आध्यात्मिक विकास में मदद करता है।
- पुण्य लाभ: इसका पाठ करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
णमोकार चालीसा के लाभ
- मोक्ष की प्राप्ति: नियमित रूप से णमोकार चालीसा का पाठ करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- कर्मों का नाश: यह व्यक्ति के बुरे कर्मों का नाश करता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: यह सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।
- जीवन में सफलता: जीवन में सफलता और सुख-शांति प्राप्त होती है।
णमोकार चालीसा का पाठ करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। यह चालीसा सभी उम्र के लोगों के लिए लाभदायक है।
ध्यान दें: णमोकार चालीसा का पाठ करते समय किसी भी प्रकार का अंधविश्वास या भ्रम नहीं पालना चाहिए। यह जैन सिद्धांतों के प्रति श्रद्धा और भक्ति का एक माध्यम है।