जय श्री नरसिंह भगवान! सभी भक्तजनों का हार्दिक स्वागत है। भगवान नरसिंह, जो विष्णु के चौथे अवतार हैं, की उपासना से जीवन में शक्ति, साहस और समृद्धि का संचार होता है।
नरसिंह चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाओं का निवारण होता है और साहसिकता प्राप्त होती है। पाठ से पहले भगवान नरसिंह की प्रतिमा के सामने दीप जलाकर और पुष्प अर्पित करें। इस विधि से भगवान नरसिंह की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सभी कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।
आइये, हम सभी भगवान नरसिंह की आराधना कर इस चालीसा का पवित्र पाठ करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को शक्ति और समृद्धि से भरपूर बनाएं।
जय भगवान नरसिंह!
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॥ दोहा ॥
मास वैशाख कृतिका युत, हरण मही को भार।
शुक्ल चतुर्दशी सोम दिन, लियो नरसिंह अवतार।।
धन्य तुम्हारो सिंह तनु, धन्य तुम्हारो नाम।
तुमरे सुमरन से प्रभु, पूरन हो सब काम।।
॥ चौपाई ॥
नरसिंह देव में सुमरों तोहि
धन बल विद्या दान दे मोहि।।1।।
जय-जय नरसिंह कृपाला
करो सदा भक्तन प्रतिपाला।।2।।
विष्णु के अवतार दयाला
महाकाल कालन को काला।।3।।
नाम अनेक तुम्हारो बखानो
अल्प बुद्धि में ना कछु जानो।।4।।
हिरणाकुश नृप अति अभिमानी
तेहि के भार मही अकुलानी।।5।।
हिरणाकुश कयाधू के जाये
नाम भक्त प्रहलाद कहाये।।6।।
भक्त बना बिष्णु को दासा
पिता कियो मारन परसाया।।7।।
अस्त्र-शस्त्र मारे भुज दण्डा
अग्निदाह कियो प्रचंडा।।8।।
भक्त हेतु तुम लियो अवतारा
दुष्ट-दलन हरण महिभारा।।9।।
तुम भक्तन के भक्त तुम्हारे
प्रह्लाद के प्राण पियारे।।10।।
प्रगट भये फाड़कर तुम खम्भा
देख दुष्ट-दल भये अचंभा।।11।।
खड्ग जिह्व तनु सुंदर साजा
ऊर्ध्व केश महादृष्ट विराजा।।12।।
तप्त स्वर्ण सम बदन तुम्हारा
को वरने तुम्हरो विस्तारा।।13।।
रूप चतुर्भुज बदन विशाला
नख जिह्वा है अति विकराला।।14।।
स्वर्ण मुकुट बदन अति भारी
कानन कुंडल की छवि न्यारी।।15।।
भक्त प्रहलाद को तुमने उबारा
हिरणा कुश खल क्षण मह मारा।।16।।
ब्रह्मा, बिष्णु तुम्हें नित ध्यावे
इंद्र-महेश सदा मन लावे।।17।।
वेद-पुराण तुम्हरो यश गावे
शेष शारदा पारन पावे।।18।।
जो नर धरो तुम्हरो ध्याना
ताको होय सदा कल्याना।।19।।
त्राहि-त्राहि प्रभु दु:ख निवारो
भव बंधन प्रभु आप ही टारो।।20।।
नित्य जपे जो नाम तिहारा
दु:ख-व्याधि हो निस्तारा।।21।।
संतानहीन जो जाप कराये
मन इच्छित सो नर सुत पावे।।22।।
बंध्या नारी सुसंतान को पावे
नर दरिद्र धनी होई जावे।।23।।
जो नरसिंह का जाप करावे
ताहि विपत्ति सपने नहीं आवे।।24।।
जो कामना करे मन माही
सब निश्चय सो सिद्ध हुई जाही।।25।।
जीवन मैं जो कछु संकट होई
निश्चय नरसिंह सुमरे सोई।।26।।
रोग ग्रसित जो ध्यावे कोई
ताकि काया कंचन होई।।27।।
डाकिनी-शाकिनी प्रेत-बेताला
ग्रह-व्याधि अरु यम विकराला।।28।।
प्रेत-पिशाच सबे भय खाए
यम के दूत निकट नहीं आवे।।29।।
सुमर नाम व्याधि सब भागे
रोग-शोक कबहूं नहीं लागे।।30।।
जाको नजर दोष हो भाई
सो नरसिंह चालीसा गाई।।31।।
हटे नजर होवे कल्याना
बचन सत्य साखी भगवाना।।32।।
जो नर ध्यान तुम्हारो लावे
सो नर मन वांछित फल पावे।।33।।
बनवाए जो मंदिर ज्ञानी
हो जावे वह नर जग मानी।।34।।
नित-प्रति पाठ करे इक बारा
सो नर रहे तुम्हारा प्यारा।।35।।
नरसिंह चालीसा जो जन गावे
दु:ख-दरिद्र ताके निकट न आवे।।36।।
चालीसा जो नर पढ़े-पढ़ावे
सो नर जग में सब कुछ पावे।।37।।
यह श्री नरसिंह चालीसा
पढ़े रंक होवे अवनीसा।।38।।
जो ध्यावे सो नर सुख पावे
तोही विमुख बहु दु:ख उठावे।।39।।
‘शिवस्वरूप है शरण तुम्हारी
हरो नाथ सब विपत्ति हमारी’।।40।।
॥ दोहा ॥
चारों युग गायें तेरी महिमा अपरंपार।
निज भक्तनु के प्राण हित लियो जगत अवतार।।
नरसिंह चालीसा जो पढ़े प्रेम मगन शत बार।
उस घर आनंद रहे वैभव बढ़े अपार।।
(इति श्री नरसिंह चालीसा संपूर्णम्)
नरसिंह भगवान: विष्णु के अवतार
नरसिंह भगवान भगवान विष्णु के दस अवतारों में से चौथे अवतार हैं। इनका अवतार असुर राजा हिरण्यकश्यप के अत्याचार से अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए हुआ था। नरसिंह अर्थात नर (मानव) और सिंह (शेर) का मिश्रण। इनका स्वरूप आधा मानव और आधा सिंह जैसा है।
नरसिंह चालीसा: भक्ति का साधन
नरसिंह चालीसा भगवान नरसिंह की स्तुति में लिखी गई एक भक्तिमय रचना है। यह चालीसा भगवान नरसिंह के जीवन और लीलाओं का वर्णन करती है और उनके प्रति भक्ति और श्रद्धा को बढ़ावा देती है।
नरसिंह चालीसा पढ़ने की विधि
- शुद्ध मन: चालीसा का पाठ करते समय मन को शांत और एकाग्र रखें।
- श्रद्धा: भगवान नरसिंह के प्रति अटूट श्रद्धा और विश्वास रखें।
- स्थान: किसी साफ-सुथरे स्थान पर बैठकर या खड़े होकर पाठ करें।
- दिशा: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- पूजा: पाठ से पहले भगवान नरसिंह की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाकर और धूप-अगरबत्ती दिखाकर पूजा करें।
- उच्चारण: चालीसा का पाठ करते समय स्पष्ट उच्चारण करें।
- अर्थ: हर चौपाई का अर्थ समझते हुए पाठ करें।
- नियमितता: प्रतिदिन या सप्ताह में एक बार निश्चित समय पर पाठ करने का प्रयास करें।
नरसिंह चालीसा का महत्त्व
नरसिंह चालीसा का पाठ करने का बहुत महत्व है। यह भगवान नरसिंह की कृपा प्राप्त करने का एक शक्तिशाली माध्यम है।
- संकटमोचन: भगवान नरसिंह सभी संकटों से मुक्ति दिलाते हैं।
- शक्ति: यह व्यक्ति को शक्ति और साहस प्रदान करता है।
- रक्षा: यह व्यक्ति की रक्षा करता है।
- भय का नाश: यह भय और दुःख को दूर करता है।
नरसिंह चालीसा के लाभ
- मन की शांति: यह मन को शांत और तनावमुक्त बनाता है।
- आत्मविश्वास: यह आत्मविश्वास बढ़ाता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: यह सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।
- सफलता: जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।
नरसिंह चालीसा का पाठ करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। यह चालीसा सभी उम्र के लोगों के लिए लाभदायक है।