नमस्कार, भक्तजनों! जाहरवीर गोगा, जिन्हें समर्पण और शक्ति का प्रतीक माना जाता है, की उपासना से हमें हर संकट से मुक्ति और विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। गोगाजी या जाहरवीर गोगा को भारत के कई राज्यों में, विशेषकर राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में लोकदेवता के रूप में पूजा जाता है। उन्हें सांपों के देवता के रूप में भी जाना जाता है और किसानों के संरक्षक देवता के रूप में भी पूजा जाता है।
जाहरवीर चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में समृद्धि और सुरक्षा का अहसास होता है। इस चालीसा का पाठ करते समय जाहरवीर गोगा की प्रतिमा के सामने दीप जलाएं और भक्ति भाव से पाठ करें। यह विधि विशेष रूप से उन भक्तों के लिए लाभकारी है जो जीवन में समृद्धि और रक्षात्मक शक्ति की प्राप्ति की कामना करते हैं।
आइये, हम सभी जाहरवीर गोगा की आराधना कर इस चालीसा का पवित्र पाठ करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को संकटमुक्त और सफल बनाएं।
जय जाहरवीर गोगा!
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॥ दोहा ॥
सुवन केहरी जेवर सुत महाबली रनधीर।
बन्दौं सुत रानी बाछला विपत निवारण वीर॥
जय जय जय चौहान वन्स गूगा वीर अनूप।
अनंगपाल को जीतकर आप बने सुर भूप॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय जाहर रणधीरा,
पर दुख भंजन बागड़ वीरा।
गुरु गोरख का हे वरदानी,
जाहरवीर जोधा लासानी।
गौरवरण मुख महा विसाला,
माथे मुकट धुंघराले बाला।
कांधे धनुष गले तुलसी माला,
कमर कृपान रक्षा को डाला।
जन्में गूगावीर जग जाना,
ईसवी सन हजार दरमियाना।
बल सागर गुण निधि कुमारा,
दुखी जनों का बना सहारा।
बागड़ पति बाछला नन्दन,
जेवर सुत हरि भक्त निकन्दन।
जेवर राव का पुत्र कहाये,
माता पिता के नाम बढ़ाये।
पूरन हई कामना सारी,
जिसने विनती करी तुम्हारी।
सन्त उबारे असुर संहारे,
भक्त जनों के काज संवारे।
गूगावीर की अजब कहानी,
जिसको ब्याही श्रीयल रानी।
बाछल रानी जेवर राना,
महादुखी थे बिन सन्ताना।
भंगिन ने जब बोली मारी,
जीवन हो गया उनको भारी।
सखा बाग पड़ा नौलक्खा,
देख-देख जग का मन दक्खा।
कुछ दिन पीछे साधू आये,
चेला चेली संग में लाये।
जेवर राव ने कुआ बनवाया,
उद्घाटन जब करना चाहा।
खारी नीर कुए से निकला,
राजा रानी का मन पिघला।
रानी तब ज्योतिषी बुलवाया,
कौन पाप मैं पुत्र न पाया।
कोई उपाय हमको बतलाओ,
उन कहा गोरख गुरु मनाओ।
गरु गोरख जो खश हो जाई,
सन्तान पाना मुश्किल नाई।
बाछल रानी गोरख गुन गावे,
नेम धर्म को न बिसरावे।
करे तपस्या दिन और राती,
एक वक्त खाय रूखी चपाती।
कार्तिक माघ में करे स्नाना,
व्रत इकादसी नहीं भुलाना।
पूरनमासी व्रत नहीं छोड़े,
दान पुण्य से मुख नहीं मोड़े।
चेलों के संग गोरख आये,
नौलखे में तम्बू तनवाये।
मीठा नीर कुए का कीना,
सूखा बाग हरा कर दीना।
मेवा फल सब साधु खाए,
अपने गुरु के गुन को गाये।
औघड़ भिक्षा मांगने आए,
बाछल रानी ने दुख सुनाये।
औघड़ जान लियो मन माहीं,
तप बल से कुछ मुश्किल नाहीं।
रानी होवे मनसा पूरी,
गुरु शरण है बहुत जरूरी।
बारह बरस जपा गुरु नामा,
तब गोरख ने मन में जाना।
पुत्र देन की हामी भर ली,
पूरनमासी निश्चय कर ली।
काछल कपटिन गजब गुजारा,
धोखा गुरु संग किया करारा।
बाछल बनकर पुत्र पाया,
बहन का दरद जरा नहीं आया।
औघड़ गुरु को भेद बताया,
तब बाछल ने गूगल पाया।
कर परसादी दिया गूगल दाना,
अब तुम पुत्र जनो मरदाना।
लीली घोड़ी और पण्डतानी,
लूना दासी ने भी जानी।
रानी गूगल बाट के खाई,
सब बांझों को मिली दवाई।
नरसिंह पंडित लीला घोड़ा,
भज्जु कुतवाल जना रणधीरा।
रूप विकट धर सब ही डरावे,
जाहरवीर के मन को भावे।
भादों कृष्ण जब नौमी आई,
जेवरराव के बजी बधाई।
विवाह हुआ गूगा भये राना,
संगलदीप में बने मेहमाना।
रानी श्रीयल संग परे फेरे,
जाहर राज बागड़ का करे।
अरजन सरजन काछल जने,
गूगा वीर से रहे वे तने।
दिल्ली गए लड़ने के काजा,
अनंग पाल चढ़े महाराजा।
उसने घेरी बागड़ सारी,
जाहरवीर न हिम्मत हारी।
अरजन सरजन जान से मारे,
अनंगपाल ने शस्त्र डारे।
चरण पकड़कर पिण्ड छुड़ाया,
सिंह भवन माड़ी बनवाया।
उसीमें गूगावीर समाये,
गोरख टीला धूनी रमाये।
पुण्य वान सेवक वहाँ आये,
तन मन धन से सेवा लाए।
मन्सा पूरी उनकी होई,
गूगावीर को सुमरे जोई।
चालीस दिन पढ़े जाहर चालीसा,
सारे कष्ट हरे जगदीसा।
दूध पूत उन्हें दे विधाता,
कृपा करे गुरु गोरखनाथ।
गोगाजी का जीवन
गोगाजी के जीवन के बारे में कई किंवदंतियाँ प्रचलित हैं। मान्यता है कि उनका जन्म राजस्थान के ददरेवा (चुरू) में हुआ था। उनके पिता चौहान वंश के शासक थे। गोरखनाथ जी के आशीर्वाद से उनका जन्म हुआ था। गोगाजी बचपन से ही वीर और साहसी थे। वे सांपों के काटने से लोगों को बचाने के लिए जाने जाते थे।
गोगाजी की पूजा
गोगाजी की पूजा मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में की जाती है। किसान उन्हें फसलों की रक्षा करने वाले देवता के रूप में मानते हैं। सांपों के काटने से बचने के लिए लोग गोगाजी की पूजा करते हैं। गोगाजी की पूजा में विशेष रूप से सांपों की मूर्तियाँ और ध्वज रखे जाते हैं।
गोगाजी के मंदिर
गोगाजी के कई मंदिर भारत में हैं, विशेषकर राजस्थान में। इन मंदिरों में बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
गोगा पंचमी
गोगाजी पंचमी गोगाजी को समर्पित एक प्रमुख त्योहार है। यह भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। इस दिन लोग गोगाजी के मंदिरों में जाते हैं और पूजा करते हैं।
गोगाजी की लोकप्रियता
गोगाजी की लोकप्रियता का कारण यह है कि उन्हें एक साधारण किसान के रूप में देखा जाता है जो लोगों की समस्याओं को समझता है। वे सांपों के काटने से लोगों को बचाने के लिए जाने जाते हैं और किसानों के संरक्षक देवता के रूप में भी पूजे जाते हैं।
गोगाजी की विशेषताएं:
- लोकप्रिय: गोगाजी की पूजा भारत के कई राज्यों में की जाती है।
- सांपों के देवता: गोगाजी को सांपों का देवता माना जाता है।
- किसानों के संरक्षक: किसान उन्हें फसलों की रक्षा करने वाले देवता के रूप में मानते हैं।
- वीर: गोगाजी बचपन से ही वीर और साहसी थे।
जाहरवीर चालीसा पढ़ने की विधि
जाहरवीर चालीसा, गोगाजी महाराज की भक्ति में डूबे रहने के लिए एक अद्भुत साधन है। यह चालीसा गोगाजी महाराज के जीवन और सिद्धियों का वर्णन करती है और उनके प्रति प्रेम और भक्ति को बढ़ावा देती है।
जाहरवीर चालीसा पढ़ने की विधि कुछ इस प्रकार है:
- शुद्ध मन: चालीसा का पाठ करते समय मन को शांत और एकाग्र रखें।
- श्रद्धा: गोगाजी महाराज के प्रति अटूट श्रद्धा और विश्वास रखें।
- स्थान: किसी साफ-सुथरे स्थान पर बैठकर या खड़े होकर पाठ करें।
- दिशा: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- पूजा: पाठ से पहले गोगाजी महाराज की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाकर और धूप-अगरबत्ती दिखाकर पूजा करें।
- उच्चारण: चालीसा का पाठ करते समय स्पष्ट उच्चारण करें।
- अर्थ: हर चौपाई का अर्थ समझते हुए पाठ करें।
- नियमितता: प्रतिदिन या सप्ताह में एक बार निश्चित समय पर पाठ करने का प्रयास करें।
गोगा नवमी पर विशेष महत्व:
गोगा नवमी के दिन गोगाजी चालीसा का पाठ करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन गोगाजी महाराज की पूजा-अर्चना की जाती है और मेले लगते हैं।
जाहरवीर चालीसा के लाभ:
- मन की शांति: यह मन को शांत और तनावमुक्त बनाता है।
- संकटों से मुक्ति: जीवन के सभी संकटों से मुक्ति मिलती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: यह सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।
- सांपों से सुरक्षा: सांपों के काटने से बचाता है।
- किसानों की रक्षा: किसानों की फसलों की रक्षा करता है।
जाहरवीर चालीसा का पाठ करने से भगवान गोगाजी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। यह चालीसा सभी उम्र के लोगों के लिए लाभदायक है।