प्रणाम, भक्तजनों! माँ चामुण्डा, जो शक्ति और पराक्रम की देवी हैं, की उपासना से जीवन में कठिनाइयों से मुक्ति और शक्ति का संचार होता है।चामुण्डा देवी चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में शक्ति और सफलता की प्राप्ति होती है।
इस चालीसा का पाठ करते समय माँ चामुण्डा की प्रतिमा के सामने दीप जलाएं और पुष्प अर्पित करें। यह विधि विशेष रूप से उन भक्तों के लिए लाभकारी है जो अपनी जीवन शक्ति और साहस को बढ़ाना चाहते हैं।
आइये, हम सभी माँ चामुण्डा की आराधना कर इस चालीसा का पवित्र पाठ करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को शक्तिशाली और समृद्ध बनाएं।
जय माँ चामुण्डा!
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॥ दोहा ॥
नीलवरण माँ कालिका रहती सदा प्रचंड।
दस हाथो मई ससत्रा धार देती दुष्ट को दंड॥
मधु केटभ संहार कर करी धर्म की जीत।
मेरी भी पीड़ा हरो हो जो कर्म पुनीत॥
॥ चौपाई ॥
नमस्कार चामुंडा माता ।
तीनो लोक मई मई विख्याता ॥
हिमाल्या मई पवितरा धाम है ।
महाशक्ति तुमको प्रणाम है ॥१॥
मार्कंडिए ऋषि ने धीयया ।
कैसे प्रगती भेद बताया ॥
सूभ निसुभ दो डेतिए बलसाली ।
तीनो लोक जो कर दिए खाली ॥२॥
वायु अग्नि याँ कुबेर संग ।
सूर्या चंद्रा वरुण हुए तंग ॥
अपमानित चर्नो मई आए ।
गिरिराज हिमआलये को लाए ॥३॥
भद्रा-रॉंद्र्रा निट्टया धीयया ।
चेतन शक्ति करके बुलाया ॥
क्रोधित होकर काली आई ।
जिसने अपनी लीला दिखाई ॥४॥
चंदड़ मूंदड़ ओर सुंभ पतए ।
कामुक वेरी लड़ने आए ॥
पहले सुग्गृीव दूत को मारा ।
भगा चंदड़ भी मारा मारा ॥५॥
अरबो सैनिक लेकर आया ।
द्रहूँ लॉकंगन क्रोध दिखाया ॥
जैसे ही दुस्त ललकारा ।
हा उ सबद्ड गुंजा के मारा ॥६॥
सेना ने मचाई भगदड़ ।
फादा सिंग ने आया जो बाद ॥
हत्टिया करने चंदड़-मूंदड़ आए ।
मदिरा पीकेर के घुर्रई ॥७॥
चतुरंगी सेना संग लाए ।
उचे उचे सीविएर गिराई ॥
तुमने क्रोधित रूप निकाला ।
प्रगती डाल गले मूंद माला ॥८॥
चर्म की सॅडी चीते वाली ।
हड्डी ढ़ाचा था बलसाली ॥
विकराल मुखी आँखे दिखलाई ।
जिसे देख सृष्टि घबराई ॥९॥
चंदड़ मूंदड़ ने चकरा चलाया ।
ले तलवार हू साबद गूंजाया ॥
पपियो का कर दिया निस्तरा ।
चंदड़ मूंदड़ दोनो को मारा ॥१०॥
हाथ मई मस्तक ले मुस्काई ।
पापी सेना फिर घबराई ॥
सरस्वती मा तुम्हे पुकारा ।
पड़ा चामुंडा नाम तिहरा ॥११॥
चंदड़ मूंदड़ की मिरतट्यु सुनकर ।
कालक मौर्या आए रात पर ॥
अरब खराब युध के पाठ पर ।
झोक दिए सब चामुंडा पर ॥१२॥
उगर्र चंडिका प्रगती आकर ।
गीडदीयो की वाडी भरकर ॥
काली ख़टवांग घुसो से मारा ।
ब्रह्माड्ड ने फेकि जल धारा ॥१३॥
माहेश्वरी ने त्रिशूल चलाया ।
मा वेश्दवी कक्करा घुमाया ॥
कार्तिके के शक्ति आई ।
नार्सिंघई दित्तियो पे छाई ॥१४॥
चुन चुन सिंग सभी को खाया ।
हर दानव घायल घबराया ॥
रक्टतबीज माया फेलाई ।
शक्ति उसने नई दिखाई ॥१५॥
रक्त्त गिरा जब धरती उपर ।
नया डेतिए प्रगता था वही पर ॥
चाँदी मा अब शूल घुमाया ।
मारा उसको लहू चूसाया ॥१६॥
सूभ निसुभ अब डोडे आए ।
सततर सेना भरकर लाए ॥
वज्ररपात संग सूल चलाया ।
सभी देवता कुछ घबराई ॥१७॥
ललकारा फिर घुसा मारा ।
ले त्रिसूल किया निस्तरा ॥
सूभ निसुभ धरती पर सोए ।
डेतिए सभी देखकर रोए ॥१८॥
कहमुंडा माँ धृम बचाया ।
अपना सूभ मंदिर बनवाया ॥
सभी देवता आके मानते ।
हनुमत भेराव चवर दुलते ॥१९॥
आसवीं चेट नवराततरे अओ ।
धवजा नारियल भेट चाड़ौ ॥
वांडर नदी सनन करऔ ।
चामुंडा मा तुमको पियौ ॥२०॥
॥ दोहा ॥
शरणागत को शक्ति दो हे जाग की आधार ।
‘ओम’ ये नेया दोलती कर दो भाव से पार ॥
॥ इति चामुण्डा देवी चालीसा सम्पूर्णम ॥
चामुण्डा माता: शक्ति की प्रतीक
चामुण्डा माता को हिंदू धर्म में दस महाविद्याओं में से एक माना जाता है। वे देवी पार्वती का ही एक उग्र रूप हैं। चामुण्डा माता को शेर पर सवार, त्रिशूल धारण किए हुए और रक्तरंजित वस्त्र धारण किए हुए चित्रित किया जाता है। वे शक्तिपीठों में विशेष रूप से पूजित होती हैं।
चामुण्डा चालीसा पढ़ने की विधि
चामुण्डा चालीसा का पाठ करते समय इन बातों का ध्यान रखें:
- शुद्ध मन: पाठ करते समय मन को शांत और एकाग्र रखें।
- श्रद्धा: माता चामुण्डा के प्रति अटूट श्रद्धा रखें।
- विधि: आप बैठकर या खड़े होकर भी पाठ कर सकते हैं।
- समय: आप किसी भी शुभ समय में पाठ कर सकते हैं। नवरात्रि के दौरान चामुण्डा माता की विशेष पूजा होती है, इसलिए इस दौरान पाठ करना विशेष फलदायी माना जाता है।
- पूजा: पाठ से पहले माता चामुण्डा की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाकर और धूप-अगरबत्ती दिखाकर पूजा करें।
चामुण्डा चालीसा का महत्त्व
चामुण्डा चालीसा का पाठ करने का बहुत महत्व है। यह माता चामुण्डा के प्रति भक्ति को बढ़ाता है और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का एक माध्यम है।
- सुरक्षा: माता चामुण्डा सभी प्रकार के संकटों और बुरी शक्तियों से रक्षा करती हैं।
- शत्रु नाश: वे अपने भक्तों के शत्रुओं का नाश करती हैं।
- साहस: माता चामुण्डा साहस और पराक्रम प्रदान करती हैं।
- विजय: वे अपने भक्तों को विजय दिलाती हैं।
- सकारात्मक ऊर्जा: यह सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।
चामुण्डा चालीसा के लाभ
- संकटों से मुक्ति: माता चामुण्डा की कृपा से सभी संकटों से मुक्ति मिलती है।
- रोग मुक्ति: शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।
- आत्मविश्वास: आत्मविश्वास बढ़ता है।
- सफलता: जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
- दुश्मनों का नाश: दुश्मन हमेशा परास्त रहते हैं।
चामुण्डा चालीसा का पाठ करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। यह चालीसा उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभदायक है जो किसी भी प्रकार के संकट या समस्या से गुजर रहे हैं।