प्रणाम, भक्तजनों! माता ललिता की उपासना से जीवन में आनंद, समृद्धि और संतुलन की प्राप्ति होती है। माँ ललिता, जो आदिशक्ति और सौंदर्य की देवी हैं, की कृपा से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
ललिता माता चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में शांति और सौंदर्य की प्राप्ति होती है। इस चालीसा का पाठ करते समय माता ललिता की प्रतिमा के सामने दीप जलाएं और भक्ति भाव से पाठ करें। यह विधि विशेष रूप से उन भक्तों के लिए लाभकारी है जो अपने जीवन में सौंदर्य और समृद्धि की प्राप्ति की कामना करते हैं।
आइये, हम सभी माता ललिता की आराधना कर इस चालीसा का पवित्र पाठ करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को खुशहाल और समृद्ध बनाएं।
जय माता ललिता!
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॥ दोहा ॥
ललिते माँ अब कृपा करो सिद्ध करो सब काम।
श्रद्धा से सिर नाय करे करते तुम्हें प्रणाम॥
॥ चौपाई ॥
जयति जयति जय ललिते माता।
तव गुण महिमा है विख्याता॥
तू सुन्दरी, त्रिपुरेश्वरी देवी।
सुर नर मुनि तेरे पद सेवी॥
तू कल्याणी कष्ट निवारिणी।
तू सुख दायिनी, विपदा हारिणी॥
मोह विनाशिनी दैत्य नाशिनी।
भक्त भाविनी ज्योति प्रकाशिनी॥
आदि शक्ति श्री विद्या रूपा।
चक्र स्वामिनी देह अनूपा॥
ह्रदय निवासिनी-भक्त तारिणी।
नाना कष्ट विपति दल हारिणी॥
दश विद्या है रुप तुम्हारा।
श्री चन्द्रेश्वरी नैमिष प्यारा॥
धूमा, बगला, भैरवी, तारा।
भुवनेश्वरी, कमला, विस्तारा॥
षोडशी, छिन्न्मस्ता, मातंगी।
ललितेशक्ति तुम्हारी संगी॥
ललिते तुम हो ज्योतित भाला।
भक्त जनों का काम संभाला॥
भारी संकट जब-जब आये।
उनसे तुमने भक्त बचाए॥
जिसने कृपा तुम्हारी पायी।
उसकी सब विधि से बन आयी॥
संकट दूर करो माँ भारी।
भक्त जनों को आस तुम्हारी॥
त्रिपुरेश्वरी, शैलजा, भवानी।
जय जय जय शिव की महारानी॥
योग सिद्दि पावें सब योगी।
भोगें भोग महा सुख भोगी॥
कृपा तुम्हारी पाके माता।
जीवन सुखमय है बन जाता॥
दुखियों को तुमने अपनाया।
महा मूढ़ जो शरण न आया॥
तुमने जिसकी ओर निहारा।
मिली उसे सम्पत्ति, सुख सारा॥
आदि शक्ति जय त्रिपुर प्यारी।
महाशक्ति जय जय, भय हारी॥
कुल योगिनी, कुण्डलिनी रूपा।
लीला ललिते करें अनूपा॥
महा-महेश्वरी, महा शक्ति दे।
त्रिपुर-सुन्दरी सदा भक्ति दे॥
महा महा-नन्दे कल्याणी।
मूकों को देती हो वाणी॥
इच्छा-ज्ञान-क्रिया का भागी।
होता तब सेवा अनुरागी॥
जो ललिते तेरा गुण गावे।
उसे न कोई कष्ट सतावे॥
सर्व मंगले ज्वाला-मालिनी।
तुम हो सर्व शक्ति संचालिनी॥
आया माँ जो शरण तुम्हारी।
विपदा हरी उसी की सारी॥
नामा कर्षिणी, चिन्ता कर्षिणी।
सर्व मोहिनी सब सुख-वर्षिणी॥
महिमा तव सब जग विख्याता।
तुम हो दयामयी जग माता॥
सब सौभाग्य दायिनी ललिता।
तुम हो सुखदा करुणा कलिता॥
आनन्द, सुख, सम्पत्ति देती हो।
कष्ट भयानक हर लेती हो॥
मन से जो जन तुमको ध्यावे।
वह तुरन्त मन वांछित पावे॥
लक्ष्मी, दुर्गा तुम हो काली।
तुम्हीं शारदा चक्र-कपाली॥
मूलाधार, निवासिनी जय जय।
सहस्रार गामिनी माँ जय जय॥
छ: चक्रों को भेदने वाली।
करती हो सबकी रखवाली॥
योगी, भोगी, क्रोधी, कामी।
सब हैं सेवक सब अनुगामी॥
सबको पार लगाती हो माँ।
सब पर दया दिखाती हो माँ॥
हेमावती, उमा, ब्रह्माणी।
भण्डासुर कि हृदय विदारिणी॥
सर्व विपति हर, सर्वाधारे।
तुमने कुटिल कुपंथी तारे॥
चन्द्र- धारिणी, नैमिश्वासिनी।
कृपा करो ललिते अधनाशिनी॥
भक्त जनों को दरस दिखाओ।
संशय भय सब शीघ्र मिटाओ॥
जो कोई पढ़े ललिता चालीसा।
होवे सुख आनन्द अधीसा॥
जिस पर कोई संकट आवे।
पाठ करे संकट मिट जावे॥
ध्यान लगा पढ़े इक्कीस बारा।
पूर्ण मनोरथ होवे सारा॥
पुत्र-हीन संतति सुख पावे।
निर्धन धनी बने गुण गावे॥
इस विधि पाठ करे जो कोई।
दुःख बन्धन छूटे सुख होई॥
जितेन्द्र चन्द्र भारतीय बतावें।
पढ़ें चालीसा तो सुख पावें॥
सबसे लघु उपाय यह जानो।
सिद्ध होय मन में जो ठानो॥
ललिता करे हृदय में बासा।
सिद्दि देत ललिता चालीसा॥
ललिता माता: शक्ति का स्वरूप
ललिता माता का मंदिर नैमिषारण्य में स्थित है, जो एक प्रमुख शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध है। यह मंदिर 108 शक्ति पीठों में से एक है, और इसे त्रिपुर सुंदरी के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों के अनुसार, नैमिषारण्य में सती जी का हृदय गिरा था, जिससे यह स्थान सिद्ध पीठ के रूप में विख्यात हुआ। इस मंदिर में पूरे वर्ष देश-विदेश से श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, विशेषकर शारदीय और वासंतिक नवरात्र के दौरान यहां भारी भीड़ उमड़ती है।
ललिता देवी को दस महाविद्याओं में से एक माना जाता है और उनके दर्शन को अत्यधिक कल्याणकारी माना जाता है। मंदिर की वास्तुकला बहुत ही आकर्षक है, जिसमें संतुलित ब्रैकट और प्रवेश द्वार के दोनों ओर हाथी की मूर्तियाँ हैं। नैमिषारण्य में ललिता देवी का मंदिर चक्रतीर्थ तीर्थ स्थल के निकट स्थित है, और यह सप्ताह के हर दिन खुला रहता है, जिससे भक्त किसी भी समय यहां आ सकते हैं।
यहां पर मुंडन, अन्नप्राशन जैसे संस्कार भी कराए जाते हैं, और नया काम शुरू करने से पहले श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर का महत्व और इसकी पवित्रता लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र बनी हुई है।
ललिता माता चालीसा पढ़ने की विधि
ललिता माता चालीसा को पढ़ने की कोई विशेष विधि निर्धारित नहीं है। आप इसे अपनी श्रद्धा और भक्ति के अनुसार किसी भी समय पढ़ सकते हैं। हालांकि, कुछ लोग निम्नलिखित तरीके अपनाते हैं:
- शांत वातावरण: चालीसा पढ़ने के लिए एक शांत और स्वच्छ स्थान चुनें।
- ध्यान: पढ़ने से पहले कुछ पल ध्यान करें ताकि आपका मन एकाग्र हो।
- भाव: चालीसा के प्रत्येक शब्द को ध्यान से पढ़ें और उसका अर्थ समझने का प्रयास करें।
- भावना: ललिता माता के प्रति श्रद्धा और भक्ति के साथ चालीसा पढ़ें।
- पूजा: आप ललिता माता की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाकर और फूल चढ़ाकर चालीसा का पाठ कर सकते हैं।
कुछ अतिरिक्त सुझाव:
- नियमित पाठ: नियमित रूप से चालीसा का पाठ करने से मन शांत होता है और आध्यात्मिक विकास होता है।
- मनोकामना: चालीसा के अंत में आप ललिता माता से अपनी मनोकामनाएं मांग सकते हैं।
- शुद्ध मन: चालीसा पढ़ते समय मन को शुद्ध रखें और किसी भी प्रकार के नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
- विधि-विधान: आप किसी पंडित या धार्मिक गुरु से चालीसा पढ़ने की विधि के बारे में विस्तृत जानकारी ले सकते हैं।
ललिता माता चालीसा का महत्त्व
- सिद्धि प्राप्ति: ललिता माता चालीसा पढ़ने से सिद्धि प्राप्त होती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- शत्रु नाश: यह शत्रुओं का नाश करने में मदद करता है।
- विजय प्राप्ति: यह विजय दिलाने वाली देवी मानी जाती हैं, इसलिए चालीसा पढ़ने से विजय प्राप्त होती है।
- वाक सिद्धि: माना जाता है कि चालीसा पढ़ने से वाक सिद्धि प्राप्त होती है।
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश: यह नकारात्मक ऊर्जा का नाश करके सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है।
ललिता माता चालीसा के लाभ
- मन की शांति: यह मन को शांत और स्थिर करता है।
- तनाव मुक्ति: यह तनाव और चिंता को कम करता है।
- नकारात्मक विचारों से मुक्ति: यह नकारात्मक विचारों को दूर करता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: यह सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।
- आत्मविश्वास: यह आत्मविश्वास बढ़ाता है।