प्रणाम, भक्तजनों! माता बगलामुखी, जो तंत्र विद्या और बाधाओं को नष्ट करने वाली देवी हैं, की उपासना से शत्रुओं का नाश और जीवन में सुरक्षा प्राप्त होती है। माता बगलामुखी चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में सुरक्षा और शांति की प्राप्ति होती है।
इस चालीसा का पाठ करते समय माता बगलामुखी की प्रतिमा के सामने दीप जलाएं और मंत्रों के साथ इस चालीसा का पाठ करें। यह विधि विशेष रूप से उन भक्तों के लिए लाभकारी है जो शत्रु बाधाओं से मुक्ति की कामना करते हैं।
आइये, हम सभी माता बगलामुखी की आराधना कर इस चालीसा का पवित्र पाठ करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को शत्रु विघ्नों से मुक्त और सुरक्षित बनाएं।
जय माता बगलामुखी!
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॥ दोहा ॥
नमो महाविधा बरदा , बगलामुखी दयाल ।
स्तम्भन क्षण में करे , सुमरित अरिकुल काल ।।
॥ चौपाई ॥
नमो नमो पीताम्बरा भवानी ,
बगलामुखी नमो कल्यानी ।।
भक्त वत्सला शत्रु नशानी ,
नमो महाविधा वरदानी ।।
अमृत सागर बीच तुम्हारा ,
रत्न जड़ित मणि मंडित प्यारा ।
स्वर्ण सिंहासन पर आसीना ,
पीताम्बर अति दिव्य नवीना ।।
स्वर्णभूषण सुन्दर धारे ,
सिर पर चन्द्र मुकुट श्रृंगारे ।
तीन नेत्र दो भुजा मृणाला,
धारे मुद्गर पाश कराला ।।
भैरव करे सदा सेवकाई ,
सिद्ध काम सब विघ्न नसाई ।
तुम हताश का निपट सहारा ,
करे अकिंचन अरिकल धारा ।।
तुम काली तारा भुवनेशी ,
त्रिपुर सुन्दरी भैरवी वेशी ।
छिन्नभाल धूमा मातंगी ,
गायत्री तुम बगला रंगी ।।
सकल शक्तियाँ तुम में साजें,
ह्रीं बीज के बीज बिराजे ।
दुष्ट स्तम्भन अरिकुल कीलन,
मारण वशीकरण सम्मोहन ।।
दुष्टोच्चाटन कारक माता ,
अरि जिव्हा कीलक सघाता ।
साधक के विपति की त्राता ,
नमो महामाया प्रख्याता ।।
मुद्गर शिला लिये अति भारी ,
प्रेतासन पर किये सवारी ।
तीन लोक दस दिशा भवानी ,
बिचरहु तुम हित कल्यानी ।।
अरि अरिष्ट सोचे जो जन को ,
बुध्दि नाशकर कीलक तन को ।
हाथ पांव बाँधहु तुम ताके,
हनहु जीभ बिच मुद्गर बाके ।।
चोरो का जब संकट आवे ,
रण में रिपुओं से घिर जावे ।
अनल अनिल बिप्लव घहरावे ,
वाद विवाद न निर्णय पावे ।।
मूठ आदि अभिचारण संकट .
राजभीति आपत्ति सन्निकट ।
ध्यान करत सब कष्ट नसावे ,
भूत प्रेत न बाधा आवे ।।
सुमरित राजव्दार बंध जावे ,
सभा बीच स्तम्भवन छावे ।
नाग सर्प ब्रर्चिश्रकादि भयंकर ,
खल विहंग भागहिं सब सत्वर ।।
सर्व रोग की नाशन हारी,
अरिकुल मूलच्चाटन कारी ।
स्त्री पुरुष राज सम्मोहक ,
नमो नमो पीताम्बर सोहक ।।
तुमको सदा कुबेर मनावे ,
श्री समृद्धि सुयश नित गावें ।
शक्ति शौर्य की तुम्हीं विधाता ,
दुःख दारिद्र विनाशक माता ।।
यश ऐश्वर्य सिद्धि की दाता ,
शत्रु नाशिनी विजय प्रदाता ।
पीताम्बरा नमो कल्यानी ,
नमो माता बगला महारानी ।।
जो तुमको सुमरै चितलाई ,
योग क्षेम से करो सहाई ।
आपत्ति जन की तुरत निवारो ,
आधि व्याधि संकट सब टारो ।।
पूजा विधि नहिं जानत तुम्हरी,
अर्थ न आखर करहूँ निहोरी ।
मैं कुपुत्र अति निवल उपाया ,
हाथ जोड़ शरणागत आया ।।
जग में केवल तुम्हीं सहारा ,
सारे संकट करहुँ निवारा ।
नमो महादेवी हे माता ,
पीताम्बरा नमो सुखदाता ।।
सोम्य रूप धर बनती माता ,
सुख सम्पत्ति सुयश की दाता ।
रोद्र रूप धर शत्रु संहारो ,
अरि जिव्हा में मुद्गर मारो ।।
नमो महाविधा आगारा,
आदि शक्ति सुन्दरी आपारा ।
अरि भंजक विपत्ति की त्राता,
दया करो पीताम्बरी माता ।।
॥ दोहा ॥
रिद्धि सिद्धि दाता तुम्हीं, अरि समूल कुल काल ।
मेरी सब बाधा हरो, माँ बगले तत्काल ।।
।। इति Shree Maa Baglamukhi Chalisa ।।
माता बगलामुखी: सिद्धि और शत्रु नाश की देवी
माता बगलामुखी को सिद्धिदात्री देवी के रूप में पूजा जाता है। वे शत्रुओं का नाश करने वाली और विजय दिलाने वाली देवी मानी जाती हैं। वे पीले रंग की वस्त्र धारण करती हैं और उनका वाहन हंस है। माता बगलामुखी प्रमुख दस महाविद्याओं में से एक हैं और इनका संबंध शत्रुनाश, वाकसिद्धि और विजय से है। इन्हें पीताम्बरा भी कहा जाता है और उनका स्वरूप भगवती पार्वती का उग्र रूप माना जाता है। बगलामुखी की उपासना से भक्तों को भोग और मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।
शक्तियाँ
बगलामुखी की आराधना से शत्रुओं का स्तम्भन होता है, और व्यक्ति का जीवन निष्कंटक बनता है। वे वाकसिद्धि प्रदान करने के लिये भी प्रसिद्ध हैं, जिसका अर्थ है कि व्यक्ति को अपनी बात कहने में सफलता मिलती है।
आराधना
इनकी उपासना के लिए हरिद्रा गणपती की आराधना करना अनिवार्य है, अन्यथा साधना फलहीन हो सकती है। साधना में हल्दी की माला, पीले फूल, और पीले वस्त्र का प्रयोग किया जाता है। बगलामुखी मंत्र का जाप करने से पूर्व बगलामुखी कवच का पाठ करना भी आवश्यक माना जाता है।
स्वरूप
माता बगलामुखी का स्वरूप नवयौवना है, वे पीले रंग की साड़ी पहनती हैं और स्वर्ण सिंहासन पर विराजती हैं। उनके तीन नेत्र और चार हाथ होते हैं। उनका सौंदर्य मनमोहक होता है, और उनकी मुस्कान भक्तों का मन मोह लेती है।
कथा और महत्व
बगलामुखी की कथाएँ अनगिनत हैं, जो उनकी शक्तियों और आराधना की महत्ता को दर्शाती हैं। वे दुश्मनों को परास्त करने की क्षमता रखती हैं। वैश्विक संदर्भ में, उनकी उपासना विभिन्न संस्कृतियों में शत्रुप्रश्न और वाकबद्धता के लिए की जाती है।
माता बगलामुखी की आराधना से शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। वे भक्तों की आवश्यकताओं को पूरा करती हैं और उनके संकटों को दूर करती हैं।
माता बगलामुखी चालीसा पढ़ने की विधि
माता बगलामुखी चालीसा को पढ़ने की कोई विशेष विधि नहीं है, लेकिन कुछ लोग निम्नलिखित तरीके अपनाते हैं:
- शांत वातावरण: चालीसा पढ़ने के लिए एक शांत और स्वच्छ स्थान चुनें।
- ध्यान: पढ़ने से पहले कुछ पल ध्यान करें ताकि आपका मन एकाग्र हो।
- भाव: चालीसा के प्रत्येक शब्द को ध्यान से पढ़ें और उसका अर्थ समझने का प्रयास करें।
- भावना: माता बगलामुखी के प्रति श्रद्धा और भक्ति के साथ चालीसा पढ़ें।
- पूजा: आप माता बगलामुखी की मूर्ति या तस्वीर के सामने पीले रंग का दीपक जलाकर और पीले फूल चढ़ाकर चालीसा का पाठ कर सकते हैं।
माता बगलामुखी चालीसा का महत्त्व
माता बगलामुखी चालीसा का महत्त्व इस प्रकार है:
- सिद्धि प्राप्ति: चालीसा पढ़ने से सिद्धि प्राप्त होती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- शत्रु नाश: यह शत्रुओं का नाश करने में मदद करता है।
- विजय प्राप्ति: यह विजय दिलाने वाली देवी मानी जाती हैं, इसलिए चालीसा पढ़ने से विजय प्राप्त होती है।
- वाक सिद्धि: माना जाता है कि चालीसा पढ़ने से वाक सिद्धि प्राप्त होती है।
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश: यह नकारात्मक ऊर्जा का नाश करके सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है।
माता बगलामुखी चालीसा के लाभ
माता बगलामुखी चालीसा के कई लाभ हैं:
- मन की शांति: यह मन को शांत और स्थिर करता है।
- तनाव मुक्ति: यह तनाव और चिंता को कम करता है।
- नकारात्मक विचारों से मुक्ति: यह नकारात्मक विचारों को दूर करता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: यह सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।
- आत्मविश्वास: यह आत्मविश्वास बढ़ाता है।