प्रिय भक्तजन, आप सभी को हार्दिक प्रणाम और मंगलकामनाएँ। इस पवित्र अवसर पर, मैं आपका स्वागत करता हूँ और आपके स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति की प्रार्थना करता हूँ।
ॐ कालभैरवाय नमः।
श्री काल भैरव, जो समय और मृत्यु के स्वामी हैं, उनके पावन चरणों में हम अपनी भक्ति अर्पित करते हैं। भैरव चालीसा का पाठ हमारे जीवन से सभी प्रकार के भय और नकारात्मकता को दूर करता है, और हमें आत्मबल, साहस और शांति प्रदान करता है।
उनकी कृपा से हम सभी कष्टों से मुक्त होते हैं और जीवन में अपार सुख और समृद्धि प्राप्त करते हैं।
आईये, हम सब मिलकर भैरव चालीसा का पवित्र पाठ करें और उनके दिव्य आशीर्वाद से अपने जीवन को सुरक्षित और संतुलित बनाएं। श्री काल भैरव की महिमा का गुणगान करते हुए, हम उनके आशीर्वाद से अपने जीवन में साहस, शक्ति और शांति की अनुभूति करेंगे।
जय काल भैरव!
Shri Bhairav Chalisa PDF Download करने के लिए, कृपया यहाँ जाएँ – श्री भैरव चालीसा
|| दोहा ||
श्री गणपति गुरु गौरि पद प्रेम सहित धरि माथ ।
चालीसा वन्दन करौं श्री शिव भैरवनाथ ॥
श्री भैरव संकट हरण मङ्गल करण कृपाल ।
श्याम वरण विकराल वपु लोचन लाल विशाल ॥
|| चौपाई ||
जय जय श्री काली के लाला ।
जयति जयति काशी-कुतवाला ॥
जयति बटुक-भैरव भय हारी ।
जयति काल-भैरव बलकारी ॥
जयति नाथ-भैरव विख्याता ।
जयति सर्व-भैरव सुखदाता ॥
भैरव रूप कियो शिव धारण ।
भव के भार उतारण कारण ॥4
भैरव रव सुनि हवै भय दूरी ।
सब विधि होय कामना पूरी ॥
शेष महेश आदि गुण गायो ।
काशी-कोतवाल कहलायो ॥
जटा जूट शिर चन्द्र विराजत ।
बाला मुकुट बिजायठ साजत ॥
कटि करधनी घूँघरू बाजत ।
दर्शन करत सकल भय भाजत ॥8
जीवन दान दास को दीन्हो ।
कीन्हो कृपा नाथ तब चीन्हो ।।
वसि रसना बनि सारद-काली ।
दीन्यो वर राख्यो मम लाली ।।
धन्य धन्य भैरव भय भंजन ।
जय मनरंजन खल दल भंजन ।।
कर त्रिशूल डमरु शुचि कोड़ा ।
कृपा कटाक्ष सुयश नहिं थोड़ा ।।12
जो भैरव निर्भय गुण गावत ।
अष्टसिद्धि नव निधि फल पावत ॥
रूप विशाल कठिन दुख मोचन ।
क्रोध कराल लाल दुहुँ लोचन ॥
अगणित भूत प्रेत संग डोलत ।
बं बं बं शिव बं बं बोलत ॥
रुद्रकाय काली के लाला ।
महा कालहू के हो काला ॥16
बटुक नाथ हो काल गँभीरा ।
श्वेत रक्त अरु श्याम शरीरा ॥
करत तीनहू रूप प्रकाशा ।
भरत सुभक्तन कहँ शुभ आशा ॥
रत्न जड़ित कंचन सिंहासन ।
व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन ॥
तुमहि जाइ काशिहिं जन ध्यावहिं ।
विश्वनाथ कहँ दर्शन पावहिं ॥20
जय प्रभु संहारक सुनन्द जय ।
जय उन्नत हर उमा नन्द जय ॥
भीम त्रिलोचन स्वान साथ जय ।
वैजनाथ श्री जगतनाथ जय ॥
महा भीम भीषण शरीर जय ।
रुद्र त्रयम्बक धीर वीर जय ॥
अश्वनाथ जय प्रेतनाथ जय ।
स्वानारुढ़ सयचन्द्र नाथ जय ॥24
निमिष दिगम्बर चक्रनाथ जय ।
गहत अनाथन नाथ हाथ जय ॥
त्रेशलेश भूतेश चन्द्र जय ।
क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय ॥
श्री वामन नकुलेश चण्ड जय ।
कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय ॥
रुद्र बटुक क्रोधेश कालधर ।
चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर ॥28
करि मद पान शम्भु गुणगावत ।
चौंसठ योगिन संग नचावत ॥
करत कृपा जन पर बहु ढंगा ।
काशी कोतवाल अड़बंगा ॥
देयँ काल भैरव जब सोटा ।
नसै पाप मोटा से मोटा ॥
जनकर निर्मल होय शरीरा ।
मिटै सकल संकट भव पीरा ॥32
श्री भैरव भूतो के राजा ।
बाधा हरत करत शुभ काजा ॥
ऐलादी के दुःख निवारयो ।
सदा कृपाकरि काज सम्हारयो ॥
सुन्दर दास सहित अनुरागा ।
श्री दुर्वासा निकट प्रयागा ॥
श्री भैरव जी की जय लेख्यो ।
सकल कामना पूरण देख्यो ॥36
|| दोहा ||
जय जय जय भैरव बटुक स्वामी संकट टार ।
कृपा दास पर कीजिए शंकर के अवतार ॥
जो यह चालीसा पढ़े, प्रेम सहित सत बार ।
उस घर सर्वानन्द हों, वैभव बड़े अपार ॥
श्री भैरव – तांडव रूप में शिव
श्री भैरव, जिन्हें भैरवनाथ के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म में भगवान शिव के एक उग्र और विनाशकारी रूप हैं। भैरव का शाब्दिक अर्थ है ‘जो देखने में भयंकर हो’ या ‘जो भय से रक्षा करता है।’ यह रूप देवता के रूप में उनकी उग्रता और शक्ति का प्रतीक है।
उत्पत्ति और पौराणिक कथा: भैरव की उत्पत्ति के बारे में कई पौराणिक कथाएँ हैं। शिवपुराण के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान शिव के रक्त से भैरव की उत्पत्ति हुई थी। इसे भैरवाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। एक अन्य कथा के अनुसार, जब सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने भगवान शिव का अपमान किया, तो शिव के क्रोध से एक प्रचण्डकाय काया उत्पन्न हुई जिसने ब्रह्मा का पाँचवां सिर काट दिया। इस काया को महाभैरव का नाम दिया गया।
भैरव का स्वरूप और पूजा: भैरव का स्वरूप अत्यंत भयानक माना जाता है। उनके पास त्रिशूल, डमरू, तलवार, और ब्रह्मा का पाँचवां शीश जैसे अस्त्र होते हैं। उनकी सवारी एक काला कुत्ता है, और वे आमतौर पर काले वस्त्र धारण करते हैं। भैरव की पूजा पूरे भारत, श्रीलंका, नेपाल और तिब्बती बौद्ध धर्म में भी की जाती है। तंत्र साधना में भैरव की आराधना को प्रमुखता दी जाती है, और उन्हें तंत्रशास्त्र का अधिदेवता माना जाता है।
भैरव को मुख्य रूप से काल भैरव और बटुक भैरव के रूप में पूजा जाता है। काल भैरव को दंडनायक के रूप में माना जाता है, जो अपराधों और आपराधिक प्रवृत्तियों पर नियंत्रण रखते हैं, जबकि बटुक भैरव को सौम्य और भक्तों को अभय देने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है।
भैरव की उपासना और भैरवाष्टमी: भैरव की पूजा और भैरवाष्टमी व्रत मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है। उनकी उपासना में हलवा, खीर, गुलगुले, और जलेबी जैसे मिठाईयों का भोग लगाया जाता है। भैरव बाबा को मदिरा भी अत्यधिक प्रिय है, और उनके उज्जैन स्थित प्रतिमा को मदिरा पान करते हुए देखा जाता है।
भारत में भैरव के प्रसिद्ध मंदिर: काशी का काल भैरव मंदिर सबसे प्रमुख माना जाता है। काशी में शिव के दर्शन के बाद भैरव जी के दर्शन अनिवार्य माने जाते हैं। इसके अलावा उज्जैन में काल भैरव का मंदिर और दिल्ली में बटुक भैरव का पांडवकालीन मंदिर भी अत्यधिक प्रसिद्ध है।
भैरव की उपासना के लाभ: भैरव की उपासना व्यक्ति को अपमृत्यु, रोग, और विपत्तियों से मुक्ति दिलाती है। उन्हें तंत्र साधना में विशेष महत्त्व दिया गया है और तंत्र साधकों द्वारा उनकी आराधना को प्रमुखता से किया जाता है। उनके ध्यान और साधना से साधक को आयु, आरोग्य, और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
श्री भैरव की महिमा और उनकी पूजा से व्यक्ति जीवन के कठिनाइयों और भय से मुक्त हो सकता है, इसलिए हिन्दू धर्म में उनका अत्यधिक महत्व है।
श्री भैरव चालीसा पढ़ने की विधि
श्री भैरव चालीसा का पाठ करने के लिए कोई विशेष विधि नहीं है। आप इसे किसी भी समय, किसी भी जगह पर पढ़ सकते हैं। हालांकि, सुबह के समय या शाम को दीपक जलाकर भगवान भैरव की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर पाठ करना अधिक फलदायी माना जाता है।
- शांति और एकाग्रता: पाठ करते समय मन को शांत रखें और भगवान भैरव पर ध्यान केंद्रित करें।
- शुद्ध मन: शुद्ध मन से पाठ करना चाहिए।
- विश्वास: भगवान भैरव पर अटूट विश्वास रखें।
श्री भैरव चालीसा का महत्त्व
श्री भैरव चालीसा का पाठ करने से मन शांत होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। यह व्यक्ति को साहस और शक्ति प्रदान करता है। भैरव चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
श्री भैरव चालीसा के लाभ
- संकटों से मुक्ति: भैरव चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को जीवन में आने वाले सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।
- शत्रुओं का नाश: यह शत्रुओं का नाश करने और बुरी नजर से रक्षा करने में मदद करता है।
- साहस और शक्ति: भैरव चालीसा व्यक्ति को साहस और शक्ति प्रदान करता है।
- मन की शांति: यह मन को शांत करता है और तनाव को कम करता है।
- धन और समृद्धि: भैरव चालीसा धन और समृद्धि लाने में भी मदद करता है।
ध्यान दें: किसी भी धार्मिक ग्रंथ का पाठ करते समय, उस ग्रंथ के अर्थ को समझने का प्रयास करना चाहिए। श्री भैरव चालीसा का पाठ करते समय, भगवान भैरव के गुणों और उनके प्रति श्रद्धाभाव रखना महत्वपूर्ण है।