प्रिय भक्तजन, आप सभी को हार्दिक प्रणाम और मंगलकामनाएँ। इस पवित्र अवसर पर, मैं आपका स्वागत करता हूँ और आपके स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति की प्रार्थना करता हूँ।
ॐ श्री श्यामाय नमः
श्याम तेरे प्रेम में, भक्त मग्न रहते हैं।
तेरी महिमा का गुणगान, सब जन कहते हैं।
श्री खाटू श्याम, जो कलयुग के देवता माने जाते हैं और जिनकी कृपा से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं, उनकी आराधना से हमें अपार शांति और आनंद की प्राप्ति होती है। श्री खाटू श्याम की भक्ति से जीवन में सुख, समृद्धि और संतुलन आता है। उनके चालीसा का पाठ करने से सभी प्रकार के कष्ट और संकट दूर होते हैं।
आईये, हम सब मिलकर श्री खाटू श्याम चालीसा का पवित्र पाठ करें और उनके दिव्य आशीर्वाद से अपने जीवन को धन्य बनाएं। श्री खाटू श्याम की महिमा का गुणगान करते हुए, हम उनके आशीर्वाद से अपने जीवन में अपार सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति करेंगे।
जय श्री खाटू श्याम!
Shri Khatu Shyam Chalisa PDF Download करने के लिए, कृपया यहाँ जाएँ –श्री खाटू श्याम चालीसा पीडीऍफ़
|| दोहा ||
श्री गुरु चरण ध्यान धर, सुमिरि सच्चिदानन्द।
श्याम चालीसा भजत हूँ, रच चैपाई छन्द।।
|| चौपाई ||
श्याम श्याम भजि बारम्बारा,
सहज ही हो भवसागर पारा।
इन सम देव न दूजा कोई,
दीन दयालु न दाता होई।
भीमसुपुत्र अहिलवती जाया,
कहीं भीम का पौत्र कहाया।
यह सब कथा सही कल्पान्तर,
तनिक न मानों इनमें अन्तर।
बर्बरीक विष्णु अवतारा,
भक्तन हेतु मनुज तनु धारा।
वसुदेव देवकी प्यारे,
यशुमति मैया नन्द दुलारे।
मधुसूदन गोपाल मुरारी,
बृजकिशोर गोवर्धन धारी।
सियाराम श्री हरि गोविन्दा,
दीनपाल श्री बाल मुकुन्दा।
दामोदर रणछोड़ बिहारी,
नाथ द्वारिकाधीश खरारी।
नरहरि रूप प्रहलद प्यारा,
खम्भ फारि हिरनाकुश मारा।
राधा वल्लभ रुक्मिणी कंता,
गोपी बल्लभ कंस हनंता।
मनमोहन चितचोर कहाये,
माखन चोरि चोरि कर खाये।
मुरलीधर यदुपति घनश्याम,
कृष्ण पतितपावन अभिराम।
मायापति लक्ष्मीपति ईसा,
पुरुषोत्तम केशव जगदीशा।
विश्वपति त्रिभुवन उजियारा,
दीनबन्धु भक्तन रखवारा।
प्रभु का भेद कोई न पाया,
शेष महेश थके मुनियारा।
नारद शारद ऋषि योगिन्दर,
श्याम श्याम सब रटत निरन्तर।
कवि कोविद करि सके न गिनन्ता,
नाम अपार अथाह अनन्ता।
हर सृष्टि हर युग में भाई,
ले अवतार भक्त सुखदाई।
हृदय माँहि करि देखु विचारा,
श्याम भजे तो हो निस्तारा।
कीर पड़ावत गणिका तारी,
भीलनी की भक्ति बलिहारी।
सती अहिल्या गौतम नारी,
भई श्राप वश शिला दुखारी।
श्याम चरण रच नित लाई,
पहुँची पतिलोक में जाई।
अजामिल अरु सदन कसाई,
नाम प्रताप परम गति पाई।
जाके श्याम नाम अधारा,
सुख लहहि दुख दूर हो सारा।
श्याम सुलोचन है अति सुन्दर,
मोर मुकुट सिर तन पीताम्बर।
गल वैजयन्तिमाल सुहाई,
छवि अनूप भक्तन मन भाई।
श्याम श्याम सुमिरहुं दिनराती,
शाम दुपहरि अरु परभाती।
श्याम सारथी सिके रथ के,
रोड़े दूर होय उस पथ के।
श्याम भक्त न कहीं पर हारा,
भीर परि तब श्याम पुकारा।
रसना श्याम नाम पी ले,
जी ले श्याम नाम के हाले।
संसारी सुख भोग मिलेगा,
अन्त श्याम सुख योग मिलेगा।
श्याम प्रभु हैं तन के काले,
मन के गोरे भोले भाले।
श्याम संत भक्तन हितकारी,
रोग दोष अघ नाशै भारी।
प्रेम सहित जे नाम पुकारा,
भक्त लगत श्याम को प्यारा।
खाटू में है मथुरा वासी,
पार ब्रह्म पूरण अविनासी।
सुधा तान भरि मुरली बजाई,
चहुं दिशि नाना जहाँ सुनि पाई।
वृद्ध बाल जेते नारी नर,
मुग्ध भये सुनि वंशी के स्वर।
दौड़ दौड़ पहुँचे सब जाई,
खाटू में जहाँ श्याम कन्हाई।
जिसने श्याम स्वरूप निहारा,
भव भय से पाया छुटकारा।
|| दोहा ||
श्याम सलोने साँवरे, बर्बरीक तनु धार।
इच्छा पूर्ण भक्त की, करो न लाओ बार।।
श्री खाटू श्याम: भक्तों के आराध्य
श्री खाटू श्याम जी का मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू गांव में स्थित है। यह मंदिर एक प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थल है, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण और उनके परम भक्त बर्बरीक की पूजा की जाती है। भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में बर्बरीक का असली शीश (सिर) स्थापित है, जो एक महान योद्धा थे। बर्बरीक ने महाभारत के युद्ध के दौरान श्रीकृष्ण के आदेश पर अपना शीश काटकर उन्हें गुरु दक्षिणा के रूप में अर्पित किया था। श्रीकृष्ण ने प्रसन्न होकर बर्बरीक को यह वरदान दिया कि कलयुग में उनकी पूजा श्याम नाम से की जाएगी, इसलिए उन्हें “श्याम बाबा” के नाम से जाना जाता है।
मंदिर की स्थापना
खाटू श्याम जी का मंदिर एक प्राचीन धार्मिक स्थल है, जिसकी स्थापना की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। कथा के अनुसार, खाटू गांव में एक स्थान पर एक गाय अपने स्तनों से स्वतः दुग्ध बहाने लगी थी। उस स्थान पर खुदाई करने पर बर्बरीक का शीश प्राप्त हुआ, जिसे कुछ समय के लिए एक ब्राह्मण को सौंप दिया गया। इसके बाद खाटू के राजा को स्वप्न में मंदिर निर्माण का निर्देश मिला। उन्होंने उसी स्थान पर मंदिर का निर्माण करवाया और कार्तिक माह की एकादशी को उस शीश को मंदिर में स्थापित किया गया। इस दिन को बाबा श्याम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
मूल मंदिर का निर्माण 1027 ई. में राजा रूप सिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कँवर द्वारा किया गया था। इसके बाद 1720 ई. में मारवाड़ के शासक ठाकुर के दीवान अभय सिंह ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया।
धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में खाटू श्याम जी का विशेष महत्व है। भक्तजन उनकी पूजा कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। कहा जाता है कि जो भक्त वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को दीप जलाकर और पूड़ी का निवेदन करके श्याम बाबा की वंदना करते हैं, वे उनकी कृपा प्राप्त करते हैं।
खाटू श्याम जी का यह मंदिर न केवल राजस्थान, बल्कि पूरे भारत में श्रद्धालुओं के लिए एक आस्था का केंद्र है। हर साल लाखों भक्त यहाँ आकर बाबा श्याम के दर्शन करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करते हैं।
खाटू श्याम जी का संदेश
भगवान श्याम की कथा और उनके द्वारा किए गए बलिदान से यह संदेश मिलता है कि सच्ची भक्ति और समर्पण से किसी भी मनोकामना की पूर्ति हो सकती है। श्रीकृष्ण के प्रति बर्बरीक की निष्ठा और उनके बलिदान को हम सभी के लिए एक प्रेरणा के रूप में देख सकते हैं।
श्री खाटू श्याम चालीसा पढ़ने की विधि
श्री खाटू श्याम चालीसा का पाठ भक्तिभाव से करना चाहिए। पाठ करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर लेना चाहिए। एक शांत स्थान पर बैठकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके दीपक जलाकर श्री खाटू श्याम जी का ध्यान करें। इसके बाद चालीसा का पाठ प्रारंभ करें। चालीसा का पाठ करते समय मन में श्री खाटू श्याम जी के रूप का ध्यान लगाए रखें।
पाठ करते समय ध्यान रखने योग्य बातें:
- चालीसा का पाठ एकाग्रचित होकर करना चाहिए।
- पाठ करते समय किसी भी प्रकार का व्यवधान नहीं होना चाहिए।
- पाठ के दौरान मन में कोई भी नकारात्मक विचार नहीं लाना चाहिए।
श्री खाटू श्याम चालीसा का महत्व
श्री खाटू श्याम चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के मन में शांति और स्थिरता आती है। यह चालीसा व्यक्ति को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाती है। श्री खाटू श्याम जी की कृपा से व्यक्ति को जीवन में सफलता मिलती है। यह चालीसा व्यक्ति को सभी प्रकार की समस्याओं से बचाती है।
श्री खाटू श्याम चालीसा के लाभ
- मनोकामनाओं की पूर्ति: श्री खाटू श्याम जी भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
- संकटों से मुक्ति: श्री खाटू श्याम जी सभी प्रकार के संकटों से रक्षा करते हैं।
- रोगों से मुक्ति: श्री खाटू श्याम जी की कृपा से व्यक्ति सभी प्रकार के रोगों से मुक्त हो जाता है।
- मन की शांति: श्री खाटू श्याम जी का पाठ करने से मन शांत होता है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: श्री खाटू श्याम जी का पाठ करने से व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ता है।
कब करें श्री खाटू श्याम चालीसा का पाठ?
- बुधवार के दिन
- किसी भी संकट या समस्या के समय
- किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए
- रोजाना सुबह या शाम
निष्कर्ष
श्री खाटू श्याम चालीसा का पाठ बहुत ही पुण्यदायी है। इस चालीसा का नियमित रूप से पाठ करने से व्यक्ति को जीवन में कई लाभ प्राप्त होते हैं। यदि आप भी श्री खाटू श्याम जी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो आप श्री खाटू श्याम चालीसा का पाठ नियमित रूप से करें।