प्रिय भक्तजन, आप सभी को सादर नमस्कार और शुभकामनाएँ। इस पवित्र अवसर पर, मैं आपका धन्यवाद करता हूँ और आपके स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति की प्रार्थना करता हूँ।
शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं।
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्॥
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्।
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥”
भगवान विष्णु, जो संसार के पालनकर्ता हैं, उनकी आराधना से हमें आत्मिक शांति, समृद्धि और जीवन में स्थिरता की प्राप्ति होती है। विष्णु जी की कृपा से हमारे जीवन के सभी कष्ट और विघ्न दूर होते हैं और हमें धैर्य, साहस और आत्मिक संतुलन मिलता है। विष्णु चालीसा का पाठ करने से हमारे जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि आती है।
आइये, हम सब मिलकर विष्णु चालीसा का पवित्र पाठ करें और भगवान विष्णु के दिव्य आशीर्वाद से अपने जीवन को शुभ और मंगलमय बनाएं। उनकी महिमा का गुणगान करते हुए, हम उनके आशीर्वाद से अपने जीवन में शांति, समृद्धि और स्थिरता की प्राप्ति करेंगे।
जय श्री विष्णु!
Vishnu Chalisa PDF Download करने के लिए, कृपया यहाँ जाएँ –विष्णु चालीसा पीडीऍफ़
|| दोहा ||
विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ।।
|| चालीसा ||
नमो विष्णु भगवान खरारी,
कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी,
त्रिभुवन फैल रही उजियारी ।।
सुन्दर रूप मनोहर सूरत,
सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।
तन पर पीताम्बर अति सोहत,
बैजन्ती माला मन मोहत ।।
शंख चक्र कर गदा विराजे,
देखत दैत्य असुर दल भाजे ।
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे,
काम क्रोध मद लोभ न छाजे ।।
सन्तभक्त सज्जन मनरंजन,
दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन,
दोष मिटाय करत जन सज्जन ।।
पाप काट भव सिन्धु उतारण,
कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।
करत अनेक रूप प्रभु धारण,
केवल आप भक्ति के कारण ।।
धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा,
तब तुम रूप राम का धारा ।
भार उतार असुर दल मारा,
रावण आदिक को संहारा ।।
आप वाराह रूप बनाया,
हिरण्याक्ष को मार गिराया ।
धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया,
चौदह रतनन को निकलाया।।
अमिलख असुरन द्वन्द मचाया,
रूप मोहनी आप दिखाया ।
देवन को अमृत पान कराया,
असुरन को छवि से बहलाया।।
कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया,
मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया,
भस्मासुर को रूप दिखाया ।।
वेदन को जब असुर डुबाया,
कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।
मोहित बनकर खलहि नचाया,
उसही कर से भस्म कराया ।।
असुर जलन्धर अति बलदाई,
शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ।
हार पार शिव सकल बनाई,
कीन सती से छल खल जाई।।
सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी,
बतलाई सब विपत कहानी ।
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी,
वृन्दा की सब सुरति भुलानी।।
देखत तीन दनुज शैतानी,
वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी,
हना असुर उर शिव शैतानी।।
तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे,
हिरणाकुश आदिक खल मारे ।
गणिका और अजामिल तारे,
बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे।।
हरहु सकल संताप हमारे,
कृपा करहु हरि सिरजन हारे ।
देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे,
दीन बन्धु भक्तन हितकारे।।
चाहता आपका सेवक दर्शन,
करहु दया अपनी मधुसूदन ।
जानूं नहीं योग्य जब पूजन,
होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ।।
शीलदया सन्तोष सुलक्षण,
विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ।
करहुं आपका किस विधि पूजन,
कुमति विलोक होत दुख भीषण ।।
करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण,
कौन भांति मैं करहु समर्पण ।
सुर मुनि करत सदा सेवकाई,
हर्षित रहत परम गति पाई ।।
दीन दुखिन पर सदा सहाई,
निज जन जान लेव अपनाई ।
पाप दोष संताप नशाओ,
भव बन्धन से मुक्त कराओ।।
सुत सम्पति दे सुख उपजाओ,
निज चरनन का दास बनाओ ।
निगम सदा ये विनय सुनावै,
पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै।।
॥ इति श्री विष्णु चालीसा ॥
भगवान विष्णु: पालनहार और संरक्षक
विष्णु, जिन्हें नारायण और हरि के नाम से भी जाना जाता है, सनातन धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। उन्हें जगत का पालनकर्ता माना जाता है, जो संसार की रक्षा और संतुलन बनाए रखने के लिए अवतार लेते हैं। विष्णु त्रिमूर्ति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जिसमें ब्रह्मा सृष्टि के निर्माता और शिव संहारक माने जाते हैं। विष्णु को न्याय और धर्म की स्थापना के लिए विभिन्न अवतारों में पृथ्वी पर आने के रूप में भी जाना जाता है। उनके दस प्रमुख अवतारों में से अंतिम अवतार कल्कि होगा, जो अभी तक प्रकट नहीं हुआ है।
विष्णु का निवास स्थान क्षीरसागर में है, जहां वे शेषनाग पर शयन करते हैं। उनके चार हाथों में पद्म (कमल), गदा (कौमोदकी), शंख (पाञ्चजन्य), और चक्र (सुदर्शन) धारण किए हुए हैं, जो उनके शक्ति, धर्म और आध्यात्मिकता के प्रतीक हैं।
विष्णु की पत्नी देवी लक्ष्मी हैं, जो धन और समृद्धि की देवी हैं। तुलसी भी विष्णु को अत्यंत प्रिय है और उन्हें विष्णुप्रिया के रूप में मान्यता प्राप्त है। विष्णु का प्रिय आवास बैकुंठ है, जिसे परम धाम के रूप में भी जाना जाता है, जहां आत्मिक शांति और आनंद की प्राप्ति होती है।
वैदिक काल में विष्णु का महत्व अत्यधिक था, और उन्हें व्यापक रूप से पूजनीय देवता माना जाता था। ऋग्वेद में विष्णु को ‘बृहच्छरीर’ और ‘उरुगाय’ जैसे विशेषणों से संबोधित किया गया है, जो उनके विशाल और व्यापक स्वरूप का संकेत देते हैं। वे तीन लोकों के शास्ता हैं और उनकी व्यापकता को तीन पाद-प्रक्षेपों के रूप में वर्णित किया गया है, जो सृष्टि के समस्त लोकों को अपने भीतर समेटे हुए हैं।
विष्णु और इन्द्र की मित्रता भी एक महत्वपूर्ण पहलू है। वे इन्द्र के साथ मिलकर असुरों का संहार करते हैं और धर्म की स्थापना के लिए अपने बल और वीरता का प्रदर्शन करते हैं। विष्णु का स्वरूप और उनकी लीलाएं सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए आध्यात्मिकता, धर्म और न्याय का प्रतीक हैं।
विष्णु चालीसा पढ़ने की विधि
विष्णु चालीसा का पाठ भक्तिभाव से करना चाहिए। पाठ करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर लेना चाहिए। एक शांत स्थान पर बैठकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके दीपक जलाकर भगवान विष्णु का ध्यान करें। इसके बाद चालीसा का पाठ प्रारंभ करें। चालीसा का पाठ करते समय मन में भगवान विष्णु के रूप का ध्यान लगाए रखें।
पाठ करते समय ध्यान रखने योग्य बातें:
- चालीसा का पाठ एकाग्रचित होकर करना चाहिए।
- पाठ करते समय किसी भी प्रकार का व्यवधान नहीं होना चाहिए।
- पाठ के दौरान मन में कोई भी नकारात्मक विचार नहीं लाना चाहिए।
विष्णु चालीसा का महत्व
विष्णु चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह चालीसा व्यक्ति को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाती है। भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति को जीवन में सफलता मिलती है। यह चालीसा व्यक्ति को सभी प्रकार की समस्याओं से बचाती है।
विष्णु चालीसा के लाभ
- मोक्ष की प्राप्ति: भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- सभी कष्टों से मुक्ति: भगवान विष्णु सभी प्रकार के कष्टों से रक्षा करते हैं।
- धन-धान्य की वृद्धि: भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति को धन-धान्य की वृद्धि होती है।
- आयु और स्वास्थ्य: भगवान विष्णु व्यक्ति को स्वस्थ और दीर्घायु बनाते हैं।
- मन की शांति: भगवान विष्णु का पाठ करने से मन शांत होता है।
कब करें विष्णु चालीसा का पाठ?
- एकादशी के दिन
- गुरुवार के दिन
- किसी भी शुभ कार्य से पहले
- किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए
- रोजाना सुबह या शाम
निष्कर्ष
विष्णु चालीसा का पाठ बहुत ही पुण्यदायी है। इस चालीसा का नियमित रूप से पाठ करने से व्यक्ति को जीवन में कई लाभ प्राप्त होते हैं। यदि आप भी भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो आप विष्णु चालीसा का पाठ नियमित रूप से करें।