प्रिय भक्तजन, आप सभी को हार्दिक प्रणाम और शुभकामनाएँ। इस पावन अवसर पर, मैं आपका स्वागत करता हूँ और आपके स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति की प्रार्थना करता हूँ।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥
माँ लक्ष्मी, जो धन, वैभव और समृद्धि की देवी हैं, उनकी आराधना से हमारे जीवन में सुख-शांति और सम्पन्नता आती है। माँ लक्ष्मी की कृपा से हमारे सभी कष्ट दूर होते हैं और हमें आत्मिक संतुलन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। लक्ष्मी चालीसा का पाठ हमें उनके दिव्य आशीर्वाद से भर देता है।
श्री लक्ष्मी माता वन्दना, करें भव से पार।
दुख दरिद्रता मिट जाये, होय सुख अपार॥
आइये, हम सब मिलकर माँ लक्ष्मी चालीसा का पवित्र पाठ करें और देवी लक्ष्मी के दिव्य आशीर्वाद से अपने जीवन को मंगलमय बनाएं। उनकी महिमा का गुणगान करते हुए, हम उनके आशीर्वाद से अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति करेंगे।
जय माँ लक्ष्मी!
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।। दोहा ।।
मातु लक्षमी करि कृपा, करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्घ करि, पुरवहु मेरी आस॥
सिंधु सुता विष्णुप्रिये नत शिर बारंबार।
ऋद्धि सिद्धि मंगलप्रदे नत शिर बारंबार॥
।। सोरठा ।।
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥
।। चौपाई ||
सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही।
ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी।
सब विधि पुरवहु आस हमारी॥
जय जय जगत जननि जगदम्बा ।
सबकी तुम ही हो अवलम्बा॥
तुम ही हो सब घट घट वासी।
विनती यही हमारी खासी॥
जगजननी जय सिन्धु कुमारी।
दीनन की तुम हो हितकारी॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी।
कृपा करौ जग जननि भवानी॥
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी।
सुधि लीजै अपराध बिसारी॥
कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी।
जगजननी विनती सुन मोरी॥
ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता।
संकट हरो हमारी माता॥
क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो।
चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥
चौदह रत्न में तुम सुखरासी।
सेवा कियो प्रभु बनि दासी॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा।
रुप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा।
लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥
तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं।
सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
अपनाया तोहि अन्तर्यामी।
विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥
तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी।
कहं लौ महिमा कहौं बखानी॥
मन क्रम वचन करै सेवकाई।
मन इच्छित वांछित फल पाई॥
तजि छल कपट और चतुराई।
पूजहिं विविध भांति मनलाई॥
और हाल मैं कहौं बुझाई।
जो यह पाठ करै मन लाई॥
ताको कोई कष्ट नोई।
मन इच्छित पावै फल सोई॥
त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि।
त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी॥
जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै।
ध्यान लगाकर सुनै सुनावै॥
ताकौ कोई न रोग सतावै।
पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै॥
पुत्रहीन अरु संपति हीना।
अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना॥
विप्र बोलाय कै पाठ करावै।
शंका दिल में कभी न लावै॥
पाठ करावै दिन चालीसा।
ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै।
कमी नहीं काहू की आवै॥
बारह मास करै जो पूजा।
तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
प्रतिदिन पाठ करै मन माही।
उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं॥
बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई।
लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
करि विश्वास करै व्रत नेमा।
होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा॥
जय जय जय लक्ष्मी भवानी।
सब में व्यापित हो गुण खानी॥
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं।
तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै।
संकट काटि भक्ति मोहि दीजै॥
भूल चूक करि क्षमा हमारी।
दर्शन दजै दशा निहारी॥
बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी।
तुमहि अछत दुःख सहते भारी॥
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में।
सब जानत हो अपने मन में॥
रूप चतुर्भुज करके धारण।
कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई।
ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई॥
॥ दोहा॥
त्राहि त्राहि दुख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास।
जयति जयति जय लक्षमी, करो शत्रु को नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर।
मातु लक्षमी दास पर, करहु दया की कोर॥
माँ लक्ष्मी: धन और समृद्धि की देवी
माँ लक्ष्मी को हिंदू धर्म में प्रमुख देवी के रूप में पूजा जाता है। वे धन, समृद्धि, सौभाग्य, और सुख की देवी मानी जाती हैं। माँ लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं और उन्हें पृथ्वी की मातृभूमि का प्रतिनिधित्व करने वाली देवी भी माना जाता है। वे जगनमाता और आदिशक्ति के रूप में भी विख्यात हैं। माँ लक्ष्मी का उल्लेख सबसे पहले ऋग्वेद के श्री सूक्त में मिलता है, और दीपावली के त्योहार में उनकी विशेष पूजा की जाती है।
माँ लक्ष्मी के स्वरूप में चार हाथ होते हैं, जो चार विशेषताओं का प्रतीक हैं: दूरदर्शिता, दृढ़ संकल्प, श्रमशीलता, और व्यवस्था शक्ति। उनका वाहन उल्लू है, जो निर्भीकता का प्रतीक माना जाता है। लक्ष्मी का एक अन्य नाम ‘श्री’ भी है, जो पृथ्वी की देवी के रूप में उनकी पहचान कराता है।
लक्ष्मी को धन, वैभव, समृद्धि, और सौंदर्य की देवी के रूप में भी पूजा जाता है। उन्हें परिश्रम और मनोयोग के प्रतीक गजराजों द्वारा अभिषेक किया जाता है, जो यह दर्शाता है कि जहां परिश्रम और मनोयोग होता है, वहां लक्ष्मी का वास होता है। लक्ष्मी का आशीर्वाद केवल भौतिक संपत्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सद्बुद्धि, स्वच्छता, और सुव्यवस्था के रूप में भी प्रकट होता है।
माँ लक्ष्मी के आठ स्वरूप, जिन्हें अष्टलक्ष्मी कहा जाता है, हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखते हैं। वे कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं, जो कोमलता और सुंदरता का प्रतीक है। माँ लक्ष्मी के दान और आशीर्वाद की मुद्राएं उनके उदारता और अनुग्रह का बोध कराती हैं।
महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण जब माता लक्ष्मी ने संसार को छोड़कर समुद्र में निवास करना प्रारंभ किया, तब देवताओं ने समुद्र मंथन किया। इस मंथन से माता लक्ष्मी पुनः प्रकट हुईं और उन्होंने शरद पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु से पुनः विवाह किया।
इस प्रकार, माँ लक्ष्मी हिंदू धर्म में न केवल धन और समृद्धि की देवी हैं, बल्कि वे स्वच्छता, सुव्यवस्था, और सद्भावना का प्रतीक भी हैं। उनके आशीर्वाद से व्यक्ति न केवल भौतिक संपदा प्राप्त करता है, बल्कि सद्बुद्धि और सुसंस्कार भी प्राप्त करता है, जो जीवन में संतुलन और शांति का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
माँ लक्ष्मी चालीसा पढ़ने की विधि
माँ लक्ष्मी चालीसा का पाठ भक्तिभाव से करना चाहिए। पाठ करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर लेना चाहिए। एक शांत स्थान पर बैठकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके दीपक जलाकर माँ लक्ष्मी का ध्यान करें। इसके बाद चालीसा का पाठ प्रारंभ करें। चालीसा का पाठ करते समय मन में माँ लक्ष्मी के रूप का ध्यान लगाए रखें।
पाठ करते समय ध्यान रखने योग्य बातें:
- चालीसा का पाठ एकाग्रचित होकर करना चाहिए।
- पाठ करते समय किसी भी प्रकार का व्यवधान नहीं होना चाहिए।
- पाठ के दौरान मन में कोई भी नकारात्मक विचार नहीं लाना चाहिए।
माँ लक्ष्मी चालीसा का महत्व
माँ लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में धन और समृद्धि आती है। यह चालीसा व्यक्ति को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाती है। माँ लक्ष्मी की कृपा से व्यक्ति को जीवन में सफलता मिलती है। यह चालीसा व्यक्ति को गरीबी और दरिद्रता से बचाती है।
माँ लक्ष्मी चालीसा के लाभ
- धन लाभ: माँ लक्ष्मी की कृपा से व्यक्ति को धन लाभ होता है।
- समृद्धि: माँ लक्ष्मी की कृपा से व्यक्ति के घर में समृद्धि आती है।
- सुख-शांति: माँ लक्ष्मी की कृपा से व्यक्ति को सुख-शांति प्राप्त होती है।
- कष्टों का निवारण: माँ लक्ष्मी सभी प्रकार के कष्टों का निवारण करती हैं।
- व्यवसाय में वृद्धि: माँ लक्ष्मी की कृपा से व्यक्ति के व्यवसाय में वृद्धि होती है।
कब करें लक्ष्मी चालीसा का पाठ?
- शुक्रवार के दिन
- दीपावली के दिन
- किसी भी शुभ कार्य से पहले
- धन लाभ के लिए
- रोजाना सुबह या शाम
निष्कर्ष
माँ लक्ष्मी चालीसा का पाठ बहुत ही पुण्यदायी है। इस चालीसा का नियमित रूप से पाठ करने से व्यक्ति को जीवन में कई लाभ प्राप्त होते हैं। यदि आप भी माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो आप माँ लक्ष्मी चालीसा का पाठ नियमित रूप से करें।