प्रिय भक्तजन, आप सभी को सादर नमस्कार और शुभकामनाएँ। इस पावन अवसर पर, मैं आपका धन्यवाद करता हूँ और आपके स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति की प्रार्थना करता हूँ।
ॐ नमः शिवाय।
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नमः शिवाय॥
भगवान शिव, जिन्हें महादेव और त्रिनेत्रधारी भी कहा जाता है, उनकी आराधना से हमें आत्मिक शांति, शक्ति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। शिव जी की कृपा से हमारे जीवन के सभी कष्ट और विघ्न दूर होते हैं और हमें धैर्य, साहस और आत्मिक संतुलन मिलता है। शिव चालीसा का पाठ करने से हमारे जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि आती है।
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
आइये, हम सब मिलकर शिव चालीसा का पवित्र पाठ करें और भगवान शिव के दिव्य आशीर्वाद से अपने जीवन को शुभ और मंगलमय बनाएं। उनकी महिमा का गुणगान करते हुए, हम उनके आशीर्वाद से अपने जीवन में शांति, समृद्धि और शक्ति की प्राप्ति करेंगे।
हर हर महादेव!
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॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम,देहु अभय वरदान ॥
॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अंग गौर शिर गंग बहाये ।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥ 4
मैना मातु की हवे दुलारी ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥ 8
देवन जबहीं जाय पुकारा ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायौ ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायौ ॥
आप जलंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥ 12
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी ।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥ 16
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
सहस कमल में हो रहे धारी ।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥ 20
एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥ 24
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
संकट से मोहि आन उबारो ॥
मात-पिता भ्राता सब होई ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
आय हरहु मम संकट भारी ॥ 28
धन निर्धन को देत सदा हीं ।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
शंकर हो संकट के नाशन ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
शारद नारद शीश नवावैं ॥ 32
नमो नमो जय नमः शिवाय ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
जो यह पाठ करे मन लाई ।
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥
पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥ 36
पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥ 40
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥
॥ दोहा ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही,पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याण ॥
भगवान शिव: विनाश और पुनर्जनन के देवता
शिव, जिन्हें महादेव, नीलकंठ, और महाकाल जैसे नामों से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। वे त्रिदेवों में एक हैं और सृष्टि के संहारकर्ता के रूप में माने जाते हैं। शिव को शांति, विनाश, समय, योग, ध्यान, नृत्य, और वैराग्य के देवता के रूप में पूजनीय माना गया है। वे परब्रह्म, अर्थात सर्वोच्च ईश्वर, के रूप में पूजे जाते हैं, विशेषकर शैव और शाक्त संप्रदायों में।
शिव के निवास स्थान कैलाश पर्वत है, जहां वे अपनी पत्नी पार्वती के साथ निवास करते हैं। शिव का स्वरूप अत्यंत विविध है; वे एक ओर योगी के रूप में दर्शाए जाते हैं, तो दूसरी ओर वे विनाशकारी रूप में भी प्रसिद्ध हैं। उनके गले में नाग देवता, हाथ में त्रिशूल और डमरू उनके प्रमुख प्रतीक हैं। शिवलिंग और मूर्ति दोनों रूपों में उनकी पूजा की जाती है।
शिव का व्यक्तित्व विरोधाभासी भावों का संगम है। उनके मस्तक पर चंद्रमा, गले में महाविषधर सर्प, और शरीर पर रुद्राक्ष की माला होती है। वे अर्धनारीश्वर भी माने जाते हैं, जिसमें उनके आधे शरीर में देवी शक्ति का वास होता है। शिव की पूजा में बिल्वपत्र, पंचामृत, और धूप-दीप का प्रमुख स्थान है।
शिवरात्रि का पर्व शिव की आराधना का प्रमुख दिन है, जिसमें रातभर चार प्रहर में उनकी पूजा की जाती है। शिव के अनेकों रूप और नाम हैं, जैसे कि रूद्र, पशुपतिनाथ, अर्धनारीश्वर, महादेव, और नटराज। शिव को महाकाल के रूप में भी जाना जाता है, जो ब्रह्मांड के समय और आयामों को नियंत्रित करते हैं।
शिव की महिमा अनंत है, और वे सृष्टि के संहार के साथ-साथ पुनर्सृजन के भी प्रतीक हैं। उनके भक्त उन्हें महाकाल और भोलेनाथ के रूप में पूजते हैं, जो अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करते हैं। शिवरात्रि का पर्व उनके भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, जो उन्हें भक्ति और ध्यान के माध्यम से प्रिय बनाते हैं।
शिव चालीसा पढ़ने की विधि
शिव चालीसा का पाठ भक्तिभाव से करना चाहिए। पाठ करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर लेना चाहिए। एक शांत स्थान पर बैठकर उत्तर दिशा की ओर मुख करके दीपक जलाकर भगवान शिव का ध्यान करें। इसके बाद चालीसा का पाठ प्रारंभ करें। चालीसा का पाठ करते समय मन में भगवान शिव के रूप का ध्यान लगाए रखें।
पाठ करते समय ध्यान रखने योग्य बातें:
- चालीसा का पाठ एकाग्रचित होकर करना चाहिए।
- पाठ करते समय किसी भी प्रकार का व्यवधान नहीं होना चाहिए।
- पाठ के दौरान मन में कोई भी नकारात्मक विचार नहीं लाना चाहिए।
शिव चालीसा का महत्व
शिव चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के मन में शांति और स्थिरता आती है। यह चालीसा व्यक्ति को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाती है। भगवान शिव की कृपा से व्यक्ति को जीवन में सफलता मिलती है। यह चालीसा व्यक्ति को सभी प्रकार की समस्याओं से बचाती है।
शिव चालीसा के लाभ
- मोक्ष की प्राप्ति: भगवान शिव की कृपा से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- सभी कष्टों से मुक्ति: भगवान शिव सभी प्रकार के कष्टों से रक्षा करते हैं।
- रोगों से मुक्ति: भगवान शिव की कृपा से व्यक्ति सभी प्रकार के रोगों से मुक्त हो जाता है।
- मन की शांति: भगवान शिव का पाठ करने से मन शांत होता है।
- ज्ञान की प्राप्ति: भगवान शिव ज्ञान के देवता हैं, उनके पाठ से ज्ञान की प्राप्ति होती है।
कब करें शिव चालीसा का पाठ?
- सोमवार के दिन
- महाशिवरात्रि के दिन
- किसी भी संकट या समस्या के समय
- किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए
- रोजाना सुबह या शाम
निष्कर्ष
शिव चालीसा का पाठ बहुत ही पुण्यदायी है। इस चालीसा का नियमित रूप से पाठ करने से व्यक्ति को जीवन में कई लाभ प्राप्त होते हैं। यदि आप भी भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो आप शिव चालीसा का पाठ नियमित रूप से करें।